दुनिया में सब रँग बेरंग,बस तेरा साथ चाहिए,
थाम लूँ खुद ही अपना दिल मै,बस तेरा हाथ चाहिए।
बना लूँ खुशियों का घर मै,थोड़ी सी खुशियाँ और पास चाहिए,
भूला दूँ हर गम एक पल में,बस दर्दभरी आखिरी रात चाहिए।
चेहरों के मेले में तेरा चेहरा यूँ भा गया,
तुझसे है शायद कई जन्मों का रिश्ता,
ये बात समझ में आ गया।
तेरे मिलते ही जन्नत को भूल गया,
हर अफसाना मेरा दिल्लगी बयाँ कर गया।
रुख की नयी गुलबहार भी तड़प के,
तुझमे सिमट गई,
मेरे प्यार की मँजिल चुपके से,
तुझसे लिपट गई।
दर्दे दिल मेरा दिल में ही दब गया,
नया प्यार और नया यार जो मुझे मिल गया।
आरजू की अँगड़ाईया इठलाती रही,
और मै तेरे नूर में सँवर गया।
महफिल का हर जश्न है वीराना,बस तेरा साथ चाहिए,
दुनिया के भीड़ में भी,मै हूँ अनजाना,
अजनबी तेरा हाथ चाहिए।
हटने वाली है दिन की चमक,सुहाना सा एक रात चाहिए,
तुझसे बात करता रहूँ,और तु सामने हो,
ऐसा खुशियों का बस एक सौगात चाहिए।
अनजान,अजनबी यूँ मिला मुझको,
बिन बताए ही वो मेरी जान बन गया।
कमबख्त इश्क भी क्या चीज है,
मेरे किस्से की अनूठी शान बन गया।
तु रहती है हर सोच में मेरे,
ये तो तुझे अब कहना पड़ा,
भूल गया हूँ खुद को,
जो तु मिली है,
हर दर्द अब हँस के सहना पड़ा।
साथी तेरी हर आहट में मुझे,खुशियों की नई बारात चाहिए,
चेहरे में तेरे खुदा की कोई,थोड़ी सी खुदगर्जी वाली बात चाहिए।
मेरे दिल में रहोगी न,दिल को ऐसा ही कोई,
प्यार भरा साथ चाहिए।
अँतिम साँस तक जो ना मिटे,वैसी ना कभी टुटने वाली गाँठ चाहिए।
15 comments:
सुन्दर भावाव्यक्ति।
अत्यन्त सुन्दर परिकल्पना.
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
आपकी मनोकामनायें पूरी हों।
vaah.....bhaayi.....!!
बहुत ही सार्थक लेखन है आपका!
साथ की तो कदम-कदम पर जरूरत है!
सुंदर मनोकामनाएं...... अंतिम पंक्ति कमाल की है.....
भईया मान जाये तो शादी की तारीख हमे भी बता दे, हम भी भगडा डलने आ जायेगे, साथ मे मिठाई भी ख लेगे, वेसे इतने प्यार से कह रहे हो तो पथर भी मान जाये.
बहुत सुंदर रचना,
राज जी अभी तो मै बच्चा हूँ,....अभी आपलोगों के आशीर्वाद से बहुत कुछ करना है जिंदगी में......हा....जब शादी होगी तो आपलोगों को तो आना ही पड़ेगा...बहुत बहुत धन्यवाद...
" चेहरों के मेले में " बहुत ख़ूब ....
प्रेम के बंधन ही ऐसी गाँठ देते हैं ... बहुत अछे भाव हैं .....
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
bahut sundar shivam bhai
भावपूर्ण प्रस्तुति
priya shivam ji
namskar
itani sundar bhavnayen ,abhvyaktiyan kahan selaye
chhina to nahin kisi ke dil se." muzahir si-- - jindagi ko darvesh nahin mila karte "
achha prayas .abhar.
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