Thursday, February 3, 2011

सौंदर्यता की देवी

हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन,
महक रही है आत्मा भींगी-भींगी,
प्रफुल्लित,आनंदित है सम्पूर्ण यौवन।
नई झलक पाया है ह्रदय आतुर,
चेहरे ने दिखाया है अपना नूर,
कर रसपान यौवन का भ्रमरों ने,
तिलिस्म ने दिखाया है जादुई असर।

हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।

कामदेव ने रुप निखारा है,
विश्वकर्मा ने रंग सँवारा है,
मोहिनी की छवि उर में समाई है,
सौंदर्यता की देवी उपासना हेतु आई है।
बँध गया है पाँव में पायल छम-छम।

हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।

उपमा,विभूति से परे है,
हर नैन उस कामिनी पे गड़े है,
स्वर्ग की अप्सराएँ भी शर्माने लगी है,
रमणी का रुप देव-दानव सब को भाने लगी है।
फैल गयी है रमणीयता वातावरण में कण-कण।

हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।

दिवाकर का दिवाकाश हुआ,
चौमुख में मंगल का वास हुआ,
ॠतुएँ ॠतुरानी के स्वागत को तत्पर,
वाणि प्रवाह को प्रयासरत है अधर।
सौंदर्यता चुपके से भिक्षाटन को दर-दर।

हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।

हुआ कौमार्यता का लोप दमन,
जरात्व का कोप भाजन,
माधुरय का सम्पूर्ण प्रतिस्थाप्य,
प्रेम का दुनिया से पूर्ण विलाप्य।

सब से मिल बनी वो अप्सरा,
जिसका यौवन बिल्कुला था भरा,
हर श्राप से वो मुक्त थी,
मुख पे मुस्कान गुप्त थी।

कर रही थी वो खुद को प्रणाम,
बन गई सौंदर्यता के बनाम।

हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।

25 comments:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत खूब..... मन को अभिभूत करती रचना

प्रवीण पाण्डेय said...

सौन्दर्यबोध में सनी कविता।

vandana gupta said...

सुन्दर रचना।

kshama said...

Nihayat sundar rachana!

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर रचना..

निवेदिता श्रीवास्तव said...

अच्छी अभिव्यक्ति

Roshi said...

bahut sunder likha hai

केवल राम said...

आपकी रचनात्मकता का जबाब नहीं .....बहुत सुंदर
मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका शुक्रिया

PRIYANKA RATHORE said...

satyam ji aapki rachnaye dekhi....sabhi bhut umda hai...yuhi likhte rhiye...aabhar

Dr Varsha Singh said...

आपका ब्लॉग बहुत सुंदर है, और कविता भी....... बधाई स्वीकारें !

Patali-The-Village said...

सौन्दर्यबोध में सनी कविता।

Sushil Bakliwal said...

सौंदर्य की देवी की जीवन्त प्रस्तुति...

Sushil Bakliwal said...

सौंदर्य की देवी का मनमोहक चित्रण...

ZEAL said...

बहुत उच्च कोटि की रचना । पढ़कर आनंद आ गया।

ZEAL said...

बहुत उच्च कोटि की रचना । पढ़कर आनंद आ गया।

Anupama Tripathi said...

सर्वप्रथम -मेरी रचना को चर्चा मंच पर लेने के लिए मैं आभारी हूँ -
आपकी ये रचना भी बहुत सुंदर है -
आपका ब्लॉग भी कलात्मक है -
बधाई एवं शुभकामनायें -

Atul Shrivastava said...

अच्‍छी रचना।

mridula pradhan said...

sunder shabdon se alankrit ek sunder kavita.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

शिवम भाई, आपका सौंदर्यबोध चमत्‍कृत करता है, बधाई।

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ध्‍यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्‍दर्य को निरखने का अवसर।

Dr (Miss) Sharad Singh said...

छायावादी काव्यबोध से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई।

Er. सत्यम शिवम said...

आप सभी आंगतुकों का मै तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ।आपके विचार मेरा मार्गदर्शन करने के साथ साथ मेरा उत्साहवर्धन भी करते है।बहुत बहुत आभार............।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ..

उपेन्द्र नाथ said...

bahut hi sunder kavita . chitra bhi kafi aakarshak hai. sunder prastuti.

Asha Lata Saxena said...

beautiful thought.A fine poem .
Asha

Er. सत्यम शिवम said...

आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।