Thursday, March 10, 2011

भूतनी मेरे ख्वाबों में आकर

डरना मना है.....

सन्नाटे की खामोशियों में,
रात का अँधेरा कुछ कहता है,
पायल से निकलती घुँघरु की आवाज,
जब भयभीत मन को करता है।
जब रात के अँधेरे में,
सुनसान,अजनबी राहों पर,
कोई परछाई दिख जाता है,
जब साथ ना हो कोई घर में,
एकांतपन खुब सताता है।

जब रात का भयावह अँधेरा,
फिर चाँद से जीत जाता है,
आसमां से छत पे आता,
कोई साया भी दिख जाता है।

जब लाख जतन करने पर भी,
रोशनी कमरे का गुल हो जाता है,
जलती मोमबती भी हवा के वार से,
फूँके बिना ही बुझ जाता है।

तब डर-डर के भयभीत मन से,
बस आवाज ये आती है,
कोई भूतनी मेरे ख्वाबों में आकर,
मुझे निंद से जगाती है।

बड़ी भोर में वो भूतनी,
जाने कहा चली जाती है,
फिर रात जब होता है,
मेरे ख्वाबों में आ जाती है।

मन को बड़ा डराती है,
हर रात मुझे सताती है।

हवेली सूनी होती है,
तन्हाईया जब रोती है,
इक छोटी बच्ची घर में अकेली,
जब बिन माँ के ही सोती है।

कुते रात में जोर-जोर से रोते है,
सारे लोग अपने-अपने घर में जब सोते है,
लम्बी सी रात,रात-रात भर,
इक डरावनी कहानी बनाती है।

कोई भूतनी जब ख्वाबों में,
चुपके से मेरे आ जाती है।

तब डर-डर के भयभीत मन से,
बस आवाज ये आती है,
कोई भूतनी मेरे ख्वाबों में आकर,
मुझे निंद से जगाती है।

मन को बड़ा डराती है,
हर रात मुझे सताती है।

11 comments:

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर रचना॥…॥पसन्द आई।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपको भूतनी के ख्वाब क्यों आते हैं ? उम्र तो कुछ रूमानी से ख्वाब देखने की है ....एहसासों को सटीक शब्द दिए हैं

Pinky Kaur said...

very nice post dear
visit my blog plz
Download latest music
Lyrics mantra

Dr (Miss) Sharad Singh said...

रामसे की फिल्में याद आ गईं...
बहरहाल...कविता रोचक है....सबसे अलग...

प्रवीण पाण्डेय said...

सपनों से ही डर निकल जायेगा अब तो।

Dr Varsha Singh said...

सन्नाटे की खामोशियों में, रात का अँधेरा कुछ कहता है, पायल से निकलती घुँघरु की आवाज, जब भयभीत मन को करता है......

OUCH !!!! HORRIBLE....

SATYAM JI, HAVE A SWEET DREAM !

Santosh Pidhauli said...

होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...

Arti Raj... said...

haa zivan ke hr do ropon ki charcha jo aapne ki hai...parshasnniye hai...
kvi koi sapna hansate hai,
kvi koi sapna rulata hai,
khwoaab to khwoab hi hote hai,
ye to sabko aate hai....

Er. सत्यम शिवम said...

@संगीता जी..ये तो बस एक भय भावना है,जिसे शब्दों में पिरोया है....ऐसे इस उम्र में भूतनी के ही सपने आते है,भले वो सुंदर कन्याओं का रुप धारन कर ले.........धन्यवाद।

Er. सत्यम शिवम said...

@वर्षा जी....आपने तो मुझे इतना डरा दिया,जितना मै इस कविता को लिख नहीं डरा था...आज रात में तो sweet dream not salty dream हो जायेगा...

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

शस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स कोई है......... .डरो नहीं बच्चा ..पभु नाम ले कर सोया करो.... ये कविता कुछ खास ...