Thursday, April 28, 2011

प्रतीक्षा के पल तुम्हारे

प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,
इतने प्यारे होंगे क्या पता था।
मधुरस साथ तुम्हारा है प्रिय,
हर क्षण, प्रतिपल ह्रदय में घुल कर,
संगीतबद्ध हुआ आत्मा का कण कण,
तेरी सुरीली प्रणय राग सुनकर।

गुँजित हुआ झंकरित सा ह्रदय स्वर,
गंगा सी पावन नदी सा बहा था।

प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,
इतने प्यारे होंगे क्या पता था।

मुख ने था छेडा़ उस रात फिर प्रिय,
वो गीत प्रणय का इक अलबेला,
नैनों से बरसा था जो भर जल,
यादों में आया था वो मिलन-वेला।

हर क्षण हो मानो सुन रहे थे,
मैने जो तुमसे कुछ कहा था।

प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,
इतने प्यारे होंगे क्या पता था।

संसर्ग मिलन का होता अनोखा,
प्रतीक्षा के पल बन जाते है सुहाने,
चाँदनी रात में हमदोनों जो छत पे,
ढ़ुँढ़ लेते है फिर मिलने के बहाने।

थम क्यों ना जाते है वो पल,
इक रात में ही तो अपना सारा जहा था।

प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,
इतने प्यारे होंगे क्या पता था।

अधरों पे तेरे रुकी कोई बात,
पूरी ना होगी वो आज की भी रात,
नैनों में सपने इठलाने लगेंगे,
हर क्षण मिलेगा जो इक नया सौगात।

अधूरी इच्छा अधखुले नैनों से झाँककर,
स्वपन टुटने का दर्द न जाने कैसे सहा था।
प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,
इतने प्यारे होंगे क्या पता था।

सदियों ने बुझाया वो प्रेम का दीप,
हर रात काली सी हो गयी,
मिलन निशा की हर क्षण ,हर पल,
प्रतीक्षा के पल तुम्हारे बन गयी।

विरह वेदना की दर्द बनकर,
अश्रु नैनों में ही कही जमकर,
विचरण किया मै व्याकुल सा बन प्रिय,
हर रात छत पे तुमको ढ़ुँढ़ा था।

प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,
इतने प्यारे होंगे क्या पता था।

स्वरबद्ध और संगीतबद्ध रुप में इस कविता की विडियो देखे....

24 comments:

Rajesh Kumari said...

shrangaar ras me doobi hui rochak kavita.bahut pasand aai.

संजय भास्‍कर said...

जमकर,विचरण किया मै व्याकुल सा बन प्रिय,हर रात छत पे तुमको ढ़ुँढ़ा था।
प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,इतने प्यारे होंगे क्या पता था।
अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता....

डॉ. मोनिका शर्मा said...

प्रतीक्षा के पलों की वेदना का सुंदर चित्रण

Coral said...

बहुत ही सुन्दर... प्रतिक्षाके पलो में एक अलग सा मिठास दर्द होता है .....

रश्मि प्रभा... said...

विरह वेदना की दर्द बनकर,अश्रु नैनों में ही कही जमकर,विचरण किया मै व्याकुल सा बन प्रिय,हर रात छत पे तुमको ढ़ुँढ़ा था।
gahan abhivyakti

KK Yadav said...

सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति ..बधाई.

'शब्द-सृजन की ओर' पर भी आपका स्वागत है.

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत मर्मस्पर्शी प्रतीक्षाभाव...
संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता...
हार्दिक बधाई...

prerna argal said...

प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,इतने प्यारे होंगे क्या पता था।[Image]मधुरस साथ तुम्हारा है प्रिय,हर क्षण, प्रतिपल ह्रदय में घुल कर,संगीतबद्ध हुआ आत्मा का कण कण,तेरी सुरीली प्रणय राग सुनकर।
गुँजित हुआ झंकरित सा ह्रदय स्वर,गंगा सी पावन नदी सा बहा था।
प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,इतने प्यारे होंगे क्या पता
bahut sunder intajaar ke pal ka chitran.bahut sunder rachanaa ke liya badhaai.
please visit my blog www.prernaargal.blogspot.com and leave the comments also. thanks

Dwarka Baheti 'Dwarkesh' said...

विरह कि मर्म-स्पर्शी अभिव्यक्ति.बधाई .

Ragini said...

अधूरी इच्छा अधखुले नैनों से झाँककर,स्वपन टुटने का दर्द न जाने कैसे सहा था।[Image]प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,इतने प्यारे होंगे क्या पता था।
...........dil ro pada......sundar

Shalini kaushik said...

अधरों पे तेरे रुकी कोई बात,पूरी ना होगी वो आज की भी रात,नैनों में सपने इठलाने लगेंगे,हर क्षण मिलेगा जो इक नया सौगात।
bahut sundar bhavnatmk prastuti.aabhar.

मनोज कुमार said...

सुंदर रचना।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

prem ras se bhari ....bahut sundar..

राज भाटिय़ा said...

प्रतीक्षा के पलों की वेदना भी अच्छी लगती हे, बहुत सुंदर

वाणी गीत said...

प्रतीक्षा के पल इतने खूबसूरत ...
बहुत सुद्नर गीत !

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रतीक्षा के पलों में भी प्रेम पल्लवित होता रहता है।

Sushil Bakliwal said...

खुबसूरत अभिव्यक्ति प्रतिक्षा में मिलन के साथ विरह वेदना की...

Dr Varsha Singh said...

प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,
इतने प्यारे होंगे क्या पता था।
अधरों पे तेरे रुकी कोई बात,
पूरी ना होगी वो आज की भी रात,
नैनों में सपने इठलाने लगेंगे,
हर क्षण मिलेगा जो इक नया सौगात।


हृदयस्पर्शी प्रतीक्षा....
सुन्दर प्रस्तुति....

Unknown said...

बहुत ही सुन्दर कहा. शानदार

दुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...

Anupama Tripathi said...

प्रतीक्षा के पल तुम्हारे प्रिय,इतने प्यारे होंगे क्या पता था।[Image]मधुरस साथ तुम्हारा है प्रिय,हर क्षण, प्रतिपल ह्रदय में घुल कर,संगीतबद्ध हुआ आत्मा का कण कण,तेरी सुरीली प्रणय राग सुनकर।
sunder varnan prateeksha ke palon ka.

udaya veer singh said...

saras ,bodh-gamy srijan maulikata liye
sadhuvad ji .

Asha Lata Saxena said...

बहुत सुंदर भाव लिए रचना |बधाई
आशा

दिगम्बर नासवा said...

Sundar virah geet hai ... man se nikalti aawaaz ...

Archana Chaoji said...

सुन्दर मनोभाव...और दोनो स्वरों में अच्छा लगा सुनना..