मै कवि कहलाने का अधिकारी हूँ या नहीं, मुझे नहीं पता..... पर कविता खुद ही छलक जाती है, तो क्या करूँ....
नमस्कार मित्रों। अपनी व्यस्ततम रोजमर्रा की जिंदगी में हम इतने दूर निकल गए है कि वर्षों बाद आज इन सुनहरी गलियों में वापस लौटे है । अब फिर से नई शुरुआत करना चाहता हूँ। आपसब की क्या राय है ?
Post a Comment
No comments:
Post a Comment