Friday, February 24, 2012

एक पौधा तुलसी का

मेरे आंगन में मुरझाते हुये तुलसी पौधे को समर्पित......

एक पौधा तुलसी का,
आँगन में मेरे।

प्रार्थना,आराधना करता रहा है।
सुख के क्षण में प्राण वायु दान बन,
क्लेश में संताप से मरता रहा है।

अपने जड़ में वह छुपाये,
शांति और स्नेह धारा,

तीव्रतम वायु ने छीना,
तरु से जब  पत्र सारा।

करुण पीड़ा भी सहा वो,
वृक्ष वट का बन बड़ा सा,

दे रहा बस नया जीवन,
हरित देव फिर है हारा।

मृत्यु की सीमा पे भी,
वह दौड़,दौड़,

जिंदगी की खातिर लड़ता रहा है।

एक पौधा तुलसी का,
आँगन में मेरे।

प्रार्थना,आराधना करता रहा है।

मँजरी से लद गया था तन सुकोमल,
देव को होता था अर्पित जब तुलसी दल,

वरण जिसका खुद किये थे ईश विष्णु,
तरु वह खोता रहा है निश दिन स्व बल।

कर रहा था खुद में संचित,
पुण्य का प्रकाश हर क्षण,

सू्र्य का अवतार वो ही,
तम से अब डरता रहा है।

एक पौधा तुलसी का,
आँगन में मेरे।

प्रार्थना,आराधना करता रहा है।

तितलियों का क्रीड़ा साथी,
मेरे घर का बुजुर्ग था वो,

छोटे बच्चों का खिलौना,
बूढ़ों का हमदर्द था वो।

उसकी रंगत में है दिखती,
मेरी माँ की बस दुआयें,
अर्घ्य स्नेह का,नेह का,
हर चोट का मेरे उपाय।

जाने से उसके गया है,
वैद्य घर का एक पुराना,

पल में जो हर दर्द मेरा,
हर घड़ी हरता रहा है।

एक पौधा तुलसी का,
आँगन में मेरे।

प्रार्थना,आराधना करता रहा है।

Sunday, February 19, 2012

मेरे दुख तूने साथ निभाया

मेरे दुख तूने साथ निभाया।

तब जब कोई न था अपना,
टूट चुका था हर एक सपना।

घर था पर न थी छत ऊपर,
बारिश से भींगा तन तर,तर।

अन्न नहीं थे,वस्त्र नहीं थे,
आँसू के दो बूँद सही थे।

खारेपन में अपनत्व मिलाकर,
तू गागर में सागर भर लाया।

मेरे दुख तूने साथ निभाया।
साँझ ढ़ली जब बैठ अकेला,
जीवन की अंतिम थी बेला।

बीते कल पर हर्ष मनाता,
सुख जब द्वार न मेरे आता।

कष्ट में बन कर मेरी श्रद्धा,
भक्ति का मार्ग दिखाया।

मेरे दुख तूने साथ निभाया।

सब ने मेरा साथ छोड़ा,
श्वांस बचा था थोड़ा,थोड़ा,
नयन बंद थे,भय था भीतर,
ह्रदय पृष्ठ रह गया था कोरा।

शब्द बना तू हर एकांत का,
छन्द बनी अंतस की पीड़ा।

पन्नों में कह गया तू वो सब,
जो मै कभी ना कह पाया।

मेरे दुख तूने साथ निभाया।

सुख था तो मै जग को जाना,
राग,द्वेष का ताना,बाना,
नहीं रहेगा कल जो क्षण भर,
व्यर्थ है उसको पाना।
छुटे साथी,रिश्ते टूटे,
सुख का साथ जो छुटा।

ज्ञात हुआ तब खुद का मुझको,
तूने मुझे,मुझसे ही मिलाया।

मेरे दुख तूने साथ निभाया।