Monday, July 6, 2015

तुम्हारे और मेरे बीच

तुम्हारे और मेरे बीच
है एक पूरी रात
अधूरी नींद,आधे ख्वाब
और गुजरी यादों का
एक लम्बा बेवजह का काफिला

चाँद की काली दागों पर बिछी हुई है
अतीत की एक धूलभरी चादर
और बातों का नरम सा तकिया

जिसपे सर रख कर
सो जाती है हर रात
तुम्हारे और मेरे बीच
की सैकड़ों मीलों की दुरियां

तुम्हारे और मेरे बीच
है लाखों,करोड़ों शब्द
उन शब्दों में से एक है
तुम्हारा नाम
सबसे परिचित व अपनापन भरा

तुम्हारे और मेरे बीच
है कई खाईयां,पहाड़ और नदी
जिनसे होकर गुजरती है
तुम्हारी भावनायें और मेरे विचार

तुम्हारे और मेरे बीच
है एक अलौकिक सम्मोहन
जो समेटता है
ब्रह्मांड के हर आकर्षण को
मुझसे तुम तक

तुम्हारे और मेरे बीच
है एक लम्बा रास्ता तन्हाईयों का
जिससे होकर पहुँचती है
तुम्हारी याद
मुझ तक