तुम्हारे होंठ पर रख दी थी,
मैने हथेली अपनी,
और अपनी नज़रों से कहा,
कि कुछ और ना बोलो।
ये मेरा प्यार है नाजुक बड़ा,
दिल टूट जायेगा,
है तुमसे प्यार कितना जान लो,
पर और ना तोलो।
मेरी इन आँखों में देखो,
दिखेगी तस्वीर एक ऐसी,
जो तुमसे मिलती होगी पूरी,
या होगी तुम्हारे जैसी।
छुपे है राज गहरे दिल में,
इन्हें अब राज रहने दो,
कि है जो बंद दरवाजे,
इन्हें तुम और ना खोलो।
यकीन होगा तब तुम्हें,
जब मै ना होऊँगा,
अश्क बन कर आँख से तेरे,
मै जब खूब रोऊँगा।
बना लेना मुझे तब अपना,
पराया मुझे ना यूँ करना,
और अपनी गोद में रख सिर मेरा,
कहना कि आज नींद भर सो लो।
आज नींद भर सो लो.......।
पता नहीं क्या जमाना आ गया है...आज मेरी इस रचना को एक सज्जन ने बड़े शान से अपने आरकुट प्रोफाईल पर डाल दिया और मुझे बताया भी नहीं..पर मेरे कुछ शुभचिंतको ने मुझे बताया...और जब उन्हें तरह तरह के कामेन्ट प्राप्त हुये तो खुद उन्होनें फोन कर के मुझसे माफी माँगा...भाई ठीक है चोरी किजीये.....पर बता कर...."मेरे लिए तो यह गर्व की बात है,कि इतनी कम उम्र में मेरी कविता प्रोफेसरों द्वारा चोरी की जार रही है।"...मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता..."मेरा कवि ह्रदय तो हमेशा मेरे पास है....आप कविता चुरा सकते हो,पर मेरे कवि ह्रदय को कभी भी नहीं पा सकते।".....
पता नहीं क्या जमाना आ गया है...आज मेरी इस रचना को एक सज्जन ने बड़े शान से अपने आरकुट प्रोफाईल पर डाल दिया और मुझे बताया भी नहीं..पर मेरे कुछ शुभचिंतको ने मुझे बताया...और जब उन्हें तरह तरह के कामेन्ट प्राप्त हुये तो खुद उन्होनें फोन कर के मुझसे माफी माँगा...भाई ठीक है चोरी किजीये.....पर बता कर...."मेरे लिए तो यह गर्व की बात है,कि इतनी कम उम्र में मेरी कविता प्रोफेसरों द्वारा चोरी की जार रही है।"...मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता..."मेरा कवि ह्रदय तो हमेशा मेरे पास है....आप कविता चुरा सकते हो,पर मेरे कवि ह्रदय को कभी भी नहीं पा सकते।".....