Sunday, April 22, 2012

काव्य संग्रह "मेरे बाद" का लोकार्पण समारोह

आप सभी श्रेष्ठजनों के आशीर्वाद से मेरे प्रथम काव्य संग्रह "मेरे बाद" का लोकार्पण कार्यक्रम 15.04.2012 को समपन्न हुआ।इस अवसर पर माननीय सदर एस.डी.ओ और वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि उपस्थित थे साथ ही शहर के प्रतिष्ठित और गणमान्य व्यक्तियों का जमावड़ा लगा था।विभिन्न अखबारों से आये पत्रकारगणों ने मेरा उत्साहवर्धन किया।
(मंच को संचालित करते प्रो. अरुण कुमार जी)
विमोचनकर्ताओं में सदर एस.डी.ओ राधाकान्त जी,साहित्य शिरोमणी,चम्पारण के गौरव वरिष्ठ साहित्यकार श्री लव शर्मा प्रशांत जी,मुन्शी सिंह कालेज के हिन्दी विभाग के प्रमुख प्रो. डा. अरुण कुमार जी,इतिहास मर्मज्ञ एवं कवि प्रो. डा. राजेश रंजन वर्मा जी,बिहार एवं चम्पारण महोत्सव के प्रणेता एवं रंगकर्मी श्री प्रसाद रत्नेश्वर जिन्हें चीन से प्रमुख विषय पर शोध करने हेतु सम्मानीत किया गया...प्रमुख थे।
(विमोचन करते सदर एस.डी.ओ और वरिष्ठ साहित्यकारगण)
इन सबों ने अपने तरीके से काव्य संग्रह की समीक्षा प्रस्तुत की और इसमें अध्यात्म एवं प्रेम की कविताओं का अद्भूत संयोग बताया।इतनी कम उम्र में ऐसी कृति करने हेतु मुझे शूभकामनाएं दी और विलक्षण कार्य बताया.....सदर एस.डी.ओ ने इस बड़ी उपलब्धि हेतु मुझे बधाईयां दी।वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने मुझे आशीर्वाद दिया और पापा ने सबके सामने मुझे गले से लगा लिया......माँ एवं मेरे छोटे भाई ने भी मेरी खुशी पर मेरा सहयोग दिया। 
(पुस्तक की अध्यात्मिक विवेचना करते प्रो. डा. राजेश रंजन जी)
कार्यक्रम के अगले दिन यानि 16.04.2012 को विभिन्न अखबारों में लोकार्पण समारोह की विस्तृत जानकारी देखने को मिली...जिनमें कुछ प्रमुख अखबारों की कतरन निचे है।
(दैनिक हिन्दूस्तान में कार्यक्रम की जानकारी)
(राष्ट्रिय सहारा में कार्यक्रम की जानकारी)


दैनिक जागरण में प्रकाशित जानकारी का लिंक

साथ ही विभिन्न अन्य अखबारों जैसे "सन्मार्ग,आज और प्रभात खबर" में भी कार्यक्रम की जानकारी प्रकाशित हुयी।


पुस्तक विवरण
काव्य संग्रह
कविता:53
कुल पृष्ठ 160
मूल्य रु:-150

अपने पहले काव्य संग्रह "मेरे बाद" में मैने अपनी 56 काव्य रचनाओं को संग्रहीत किया है।हर कविता भिन्न भिन्न उपादानों से सुसज्जित है और अलग रंग और रस में रंगी हुई है।प्रेम,अध्यात्म,भक्ति,भाव और थोड़ा बहुत विरह भी परिलक्षीत होगा मेरी इन कविताओं में।कहते है जब कोई कलाकार अपनी सृजनात्मकता में अपने ह्रदय की भावनाओं का सम्मिश्रण करता है तब उसकी वह कृति जीवंत हो जाती है।अपने पिता की भावनाओं को समर्पित मेरी कविता "पिता का दुख" इसी सोच का एक सटीक उदाहरण है।आँखों से आँसूओं की सरिता प्रवाहीत होती रही और मै अपनी लेखनी से इक पिता के दुख को पन्नों में उतारता गया।मुझे पूर्णविश्वास है मेरी यह भाव सरिता आपकी भावनाओं को भी अवश्य बहा ले जायेगी।

काव्य संग्रह की अंतिम कविता "प्रलय पुरुष" मेरी भावी कल्पना का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।मेरा यह पात्र "प्रलय पुरुष" "मेरे बाद" की उस सोच का नतीजा है जहाँ कलियुग के अंतिम पहर की गणना शुरु हो चुकी है।मैने इस कविता को कई खण्डों में लिखा है और साथ ही विभिन्न नये पात्रों और प्रतिमानों को गढ़ा है,जिसका पूर्ण स्वरुप शायद आपको मेरी भविष्य के किसी संग्रह में मिले।सृजन की महता तभी है जब प्रलय का आवेग है।हर बार प्रलय के बाद एक नयी सृष्टि का उदय होता है और जो सृष्टि के कल्याणार्थ द्वेष,पाप,ईर्ष्या जैसी आसुरिक भावनाओं से कुंठित होकर प्रलय का तांडव रचता है वही प्रलय पुरुष कहलाता है।यह रचना मेरे लिये कुछ विशेष है।आशा करता हूँ कि इसकी लय और ताल में आपको भी एक क्षण प्रलय राग का धुन सुनायी देगा,वो कंपन महसूस होगी जो सृष्टि के संहार के बाद एक नये धरातल की रचना करेगी।

इस काव्य संग्रह को प्राप्त करने के लिये आज ही हमे मेल से अपना पोस्टल पता भेजे at satyamshivam95@gmail.com 
ISBN
978-81-921666-9-8

कुछ श्रेष्ठ एवं गणमान्य ब्लागरों द्वारा इस पुस्तक की समीक्षा

दर्शन कौर धनोए आंटी द्वारा "मेरे बाद" की समीक्षा
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वंदना गुप्ता जी द्वारा "मेरे बाद" की समीक्षा
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"मेरे बाद"......एक शुरुआत
संगीता स्वरुप आंटी द्वारा "मेरे बाद" की समीक्षा
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पुस्तक परिचय-27 : मेरे बाद

रंजू भाटिया जी के द्वारा मेरे काव्य संग्रह "मेरे बाद" की मनमोहक एवं तर्कसंगत विशलेष्णात्मक समीक्षा
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मेरे बाद ...सत्यम शिवम् ...पुस्तक समीक्षा ..

सरस दरबारी जी के द्वारा "मेरे बाद" की समीक्षा
समीक्षा 'मेरे बाद'.....सरस दरबारी जी

शास्त्री जी के ब्लाग पर
"पुस्तक समीक्षा-मेरे बाद" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

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