अश्रु से सींचित, ह्रदय फूल की,
माला गूँथ मै लाया हूँ।
श्रद्धा के धागों में पिरोकर,
करना होगा माला स्वीकार,
वरना निर्धन भक्त तुम्हारा,
सह ना पायेगा उर का ये विकार।
पोटली के बचे अनाज के दानों से,
कुछ चावल चुन मै लाया हूँ।
दूध और चिनी मिलाकर,
खीर का प्रसाद बनाया हूँ।
आज प्रभु तुमको तो आकर,
खाना होगा मेरी हाथों से,
अब काम नहीं चलता प्रभु,
सपनों की तुम्हारी बातों से।
निर्धनता ही है मेरा आभूषण,
जैसा तुमने दिया मुझको जीवन।
विपन्नता ना झलकने दूँगा,
मै हूँ भक्त तेरा स्वाभिमानी मन।
खुद धरती ही है बिछावन मेरा,
तेरे लिए पलंग बिछाया हूँ,
छोटे मोटे, फटे पुराने चादर का,
बिस्तर मै सजाया हूँ।
तुमको ना कोई कष्ट हो प्रभु,
मैने वैसा जतन कर डाला,
तकिया ना मिला तो,
फूलों का कोमल सिरहाना ही सजाया हूँ।
अब भी जो तुम ना आओगे,
मेरी भक्ति को दिलासा दिलाओगे।
मुझे शंका होगा कि प्रभु,
कही दीन की कुटिया तुम्हे ना भाती क्या?
दीनबंधु तु है बस अमीरों का साथी क्या।
मेरे सब्र का टीला अडिग है,
जो ना कभी टूटेगा प्रभु।
मै जानता तुम ना हो समक्ष,
तुम्हे देखने को ताकता मेरा अक्ष।
इतना तो प्रभु मै जानता,
तेरी भक्ति को पहचानता,
मेरे ह्रदय में करते हो बास,
टुटेगा ना कभी मेरा ये आश।
जब सारे जतन होंगे विफल,
पुकारुँगा रोज, ना आओगे कल,
ह्रदय ही अपना निकाल दूँगा,
सूरत तो तेरी निहार लूँगा।
मेरे सारे ख्वाब अब होंगे सच,
तुम होगे समक्ष, देख लेंगे ये अक्ष।
पहले माला पहनाऊँगा,
फिर खीर भी खिलाऊँगा,
जो निंद आयेगी तुमको प्रभु,
बिस्तर पे भी सुलाऊँगा।
बस ह्रदय के बिना,
मै थोड़ा सा शांत रहूँगा,
नैन बंद ना होने पाये,
ऐसा कुछ जतन करुँगा।
अपनी माया से बस प्रभु,
धड़कन में कुछ साँस भर देना,
जब शरीर को मेरे निंद आ जाये,
प्रभु तुम मुझको खबर ये कर देना।
आखिरी झलक तेरी मुझको मिल जायेगी,
मर के भी मेरी आत्मा,
तेरे रुप में खो जायेगी।
तेरी गोद में सो जायेगी......।
41 comments:
आपकी ये कविता- प्रभु भक्ति का अनुपम उदाहरण. उत्तम रचना. आभार...
... prasanshaneey rachanaa !!!
बहुत सुन्दर वन्दना लिखी है आपने!
So nice..Bahut hi sundar aur utnehi sundar utaam bhaaw . Badhaaii aapke blog pr swagat karta blog to anupam hai ..aisa kahin dekhaa nahin....
Future main ek ache kavi ke rup me aapki khayati hogi, ye rachna hum sabhi ke dil ko chu gaya,vises aasirvad
RK SHRIVASTAVA
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना -आभार।
thik hai.
हृयोदगार अपनी जगह ठीक हैं.भगवान् तो घट -घट वासी कण -कण वासी है ,सब जगह है हर क्षण तो सबको मिलता है.बस पहचानने भर की बात है.
भ =भूमि
ग =गगन
व =वायु
/=अनल-अग्नि
न =नीर-जल
कहाँ नहीं हैं ये ,फिर भगवन को कहाँ खोजना ?
हवं कीजिये ,उसमें डाले गए पदार्थ मैटेरियल साईंस के मुताबिक अग्नि द्वारा परमाणुओं में विभक्त होकर सभी तत्वों तक पहुंचा दिए जाते हैं -तत्काल ही.चाहे खीर चाहे जो भी मन पसंद पदार्थ हवन में आहुति दें भगवान को मिल जायेंगें
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति! आज पहली बार आपके ब्लॉग में आना हुआ. और बेहद अच्छा भी लगा!
@vijay ji,vandana ji.........bhut bhut dhanyawad.........mere "kaavya kalpna" me aapka swagat hai.....yu hi mera utsaah badhate rahe
bahut sunder .
sundar prabhu vandana
bahut achha likhte hain
समर्पण की उदात्त अनुभूति -बहुत सुन्दर!
सुन्दर भक्तिरस मे डूबे हुये इन्सान के दिल के उदगार। बहुत सुन्दर रचना। लिखते रहिये। आशीर्वाद।
bahut khoob! achhi prastuti !
गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.
ईश्वर के प्रति समर्पण का दीं भाव ही सरल ह्रदय को दर्शाता है. बहुत ही सुंदर ढंग से आपने अपने भावों को व्यक्त किया है.
सत्यम भाई, अनुभूति की इतनी तीव्रता बहुत कम देखने को मिलती है। बधाई स्वीकारें।
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छुई-मुई सी नाज़ुक...
कुँवर बच्चों के बचपन को बचालो।
sundar kavy rachnaa .
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना !
ईश्वर अपने बच्चों को बिना शर्त प्यार करते हैं...आपकी भावनाओं से प्रभु पूरी तरह अवगत हैं...
कविता बहुत अच्छी लगी...वर्तनी की अशुद्धियाँ हैं...ठीक कर लीजियेगा..
bahut khoob likha hai...
भाव अच्छे हैं ... कविता भी अच्छे है ... लिखते रहें ...
aapsabo ko dhanyawaad.........yu hi mera margdarshan karte rahe aur mera utsaah badhate rahe.
congralulation /
firstly u are bihaari ...
and sahi maayne me kavita sirf me hi likhi jaa rahi hai //
har rachna ...kavi ko pyaari hoti hai /
kisi ki bhi har rachna sshakt nahi ho sakti /
ise parkhane waale bhi chahiye /
this post is meaning ful as well as thoughtful/
वाह! उम्दा रचना!
बहुत उम्दा लिखा है.
बधाई.
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दूसरी साईट पर आप को सुना भी.
अच्छा लगा .
बहुत खूब !
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हमारे मंच पर पधारने का धन्यवाद.
आपकी यह सशक्त और सुन्दर रचना
आज के चर्चा मंच पर सुशोभित की गई है!
http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/375.html
शास्त्री जी बहुत बहुत धन्यवाद......मेरी कवीता "प्रभु तुमको तो आकर" को आज के चर्चा मंच का हिस्सा बनाने हेतु......बस यूँही अपना आशीर्वाद बनाये रखे।
@R.K Shrivastawa...ये कविता आपके भक्ति भावना को समर्पित.........दो फूल भावना के आपके अगाढ़ भक्ति भावना को मेरी ओर से..........ये कविता लिखा तो मैने है, पर इसके मूल में जो भी भाव है, जो भी भक्ति संस्कार है वो बस आपसे पाया है........मै आपके भक्ति को शत शत बार नमन करता हूँ......बस आपका आशीर्वाद रहे हर पल सदा.......।
गज़ब गज़ब गज़ब्….………प्रभु भक्ति की अनुपम कृति………यही समर्पण और विश्वास तो होना चाहिये।
@ vandana ji...बहुत बहुत आभार....बस आपलोग यूँही मेरा मार्गदर्शन करते रहे............अपना आशीर्वाद बनाये रखे।
शिवम् जी
नमस्कार ,ऊं साईं राम
भक्ति भावना से ओत प्रोत आपकी यह रचना दिल पर गहरा असर कर गयी ....शुभकामनायें
पुकार सच्ची हो तो प्रभु भक्ति भाव की माला स्वीकार करते ही हैं...शरणागतवत्सल जो हैं!
सुन्दर प्रार्थना!
भक्ति-भावना से परिपूर्ण एक श्रेष्ठ रचना,
प्रभु का आशीर्वाद आपको मिलता रहे।
बहुत सुन्दर वन्दना लिखी है आपने! शुभकामनायें
खूबसूरत भावों से ओत प्रोत प्रार्थना ...
@keval ji,anupama ji,mahendra ji,paramjeet ji.............bhut bhut thnks
@sangeeta ji.......yu hi mera margdarshan karti rahe.......aashirwaad banaye rakhe
Bahut,bahut sundar!
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