हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन,
महक रही है आत्मा भींगी-भींगी,
प्रफुल्लित,आनंदित है सम्पूर्ण यौवन।
नई झलक पाया है ह्रदय आतुर,
चेहरे ने दिखाया है अपना नूर,
कर रसपान यौवन का भ्रमरों ने,
तिलिस्म ने दिखाया है जादुई असर।
हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।
कामदेव ने रुप निखारा है,
विश्वकर्मा ने रंग सँवारा है,
मोहिनी की छवि उर में समाई है,
सौंदर्यता की देवी उपासना हेतु आई है।
बँध गया है पाँव में पायल छम-छम।
हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।
उपमा,विभूति से परे है,
हर नैन उस कामिनी पे गड़े है,
स्वर्ग की अप्सराएँ भी शर्माने लगी है,
रमणी का रुप देव-दानव सब को भाने लगी है।
फैल गयी है रमणीयता वातावरण में कण-कण।
हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।
दिवाकर का दिवाकाश हुआ,
चौमुख में मंगल का वास हुआ,
ॠतुएँ ॠतुरानी के स्वागत को तत्पर,
वाणि प्रवाह को प्रयासरत है अधर।
सौंदर्यता चुपके से भिक्षाटन को दर-दर।
हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।
हुआ कौमार्यता का लोप दमन,
जरात्व का कोप भाजन,
माधुरय का सम्पूर्ण प्रतिस्थाप्य,
प्रेम का दुनिया से पूर्ण विलाप्य।
सब से मिल बनी वो अप्सरा,
जिसका यौवन बिल्कुला था भरा,
हर श्राप से वो मुक्त थी,
मुख पे मुस्कान गुप्त थी।
कर रही थी वो खुद को प्रणाम,
बन गई सौंदर्यता के बनाम।
हर्षित,उन्माद,चंचल है मन,
खुशबु लेपों से सनी है तन।
25 comments:
बहुत खूब..... मन को अभिभूत करती रचना
सौन्दर्यबोध में सनी कविता।
सुन्दर रचना।
Nihayat sundar rachana!
बहुत सुन्दर रचना..
अच्छी अभिव्यक्ति
bahut sunder likha hai
आपकी रचनात्मकता का जबाब नहीं .....बहुत सुंदर
मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका शुक्रिया
satyam ji aapki rachnaye dekhi....sabhi bhut umda hai...yuhi likhte rhiye...aabhar
आपका ब्लॉग बहुत सुंदर है, और कविता भी....... बधाई स्वीकारें !
सौन्दर्यबोध में सनी कविता।
सौंदर्य की देवी की जीवन्त प्रस्तुति...
सौंदर्य की देवी का मनमोहक चित्रण...
बहुत उच्च कोटि की रचना । पढ़कर आनंद आ गया।
बहुत उच्च कोटि की रचना । पढ़कर आनंद आ गया।
सर्वप्रथम -मेरी रचना को चर्चा मंच पर लेने के लिए मैं आभारी हूँ -
आपकी ये रचना भी बहुत सुंदर है -
आपका ब्लॉग भी कलात्मक है -
बधाई एवं शुभकामनायें -
अच्छी रचना।
sunder shabdon se alankrit ek sunder kavita.
शिवम भाई, आपका सौंदर्यबोध चमत्कृत करता है, बधाई।
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ध्यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।
छायावादी काव्यबोध से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई।
आप सभी आंगतुकों का मै तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ।आपके विचार मेरा मार्गदर्शन करने के साथ साथ मेरा उत्साहवर्धन भी करते है।बहुत बहुत आभार............।
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ..
bahut hi sunder kavita . chitra bhi kafi aakarshak hai. sunder prastuti.
beautiful thought.A fine poem .
Asha
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।
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