दो क्रौंच सरवर तीर प्रेम मग्न,
प्रेममय वासना का जाग्रत अग्न।
चुम्बन स्नेहजनित माधुरय,
आलिंग्न तन प्रेम सुधामय।
सदियों की पीपासा,
मिलन की आशा,
प्रेमियों के क्षणिक लगाव की गाथा।
उद्भाषित महाकाव्य प्रथम छन्द,
बन महाकवि का अंतरद्वंद।
ब्याधे का बाण किया उरछेदीत,
प्रेममग्न प्रेमियों का स्नेहविच्छेदीत।
स्थिर तन अधीर व्याकुल,
प्रेम सुधा रक्त कण में घुल।
मिलन वेला बनी विरह घड़ी,
नर क्रौंचे के जब प्राण उड़ी।
ह्रदय कुंठित,स्नेहजनित,
अश्रु नैनों का विरह मीत।
जलकण अश्रु के संग रक्त कण,
मिलन क्षण गया विरह क्षण बन।
मार्मिक दृश्य सरवर तीर,
महाकवि के नैनों में नीर।
संसार भंगुरता से व्याकुल,
दृश्य हुआ जो अन्यायतुल्य।
मुख स्फुटन प्रथम काव्य छन्द,
व्याधे को शापित,शाप संलग्न।
सहज नहीं यह विरह दृश्य,
दुष्ट व्याधे तेरा घृणित कृत्य।
ज्यों क्रौंच युगल प्रफुल्लित,
प्रेममग्न,स्नेहीत,हर्षित,
सरवर तीर प्रेम मग्न,
अपराधित तु जघन्य।
अब तु शापित,
सह वेदना,विरह स्व मीत।
प्रथम छन्द महाकाव्य कवि का,
वेदनामय शशि और रवि का।
जगत लभ्य महाकाव्य अब,
शब्द भावों का संवेदनात्मक नभ।
विरह वेदना से छन्द निर्मित,
काव्याकाश मंद मंद हर्षित।
काल चक्र क्रीड़ा का निर्माण लीला,
जग को बहुमूल्य प्रथम छन्द मिला।
महाकवि का महाकाव्य आरम्भ,
क्रौंच युगल का विरह दम्भ।
10 comments:
प्रेमजनित पीड़ा,
क्रौंच द्वय जलक्रीड़ा।
सराहनीय प्रस्तुति सुन्दर शब्दों से मन की बातों को उकेरा है
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
बहुत ही सुंदर रचना, धन्यवाद
बहुत सही चित्रण!
हैप्पी वेलेंटाइन-डे!
बहुत ही अच्छा काव्य विषय /
Very nice and better presentation. A historical as well as epic story with a veri nice 'picture'
prem ki peeda me hi kaavya kamal ke pushp khilate hai. Thanks.
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
मनोभावों को खूबसूरती से पिरोया है। बधाई।
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।
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