Thursday, February 17, 2011

अफसोस हुआ मुझे कुछ ज्यादा

भागा भागा,दौड़ा दौड़ा,
सब छोड़ जिसे पाने आया,
स्नेहीत हो कर,संताप भूला,
इक गीत जो कंठों ने गाया,
पता चला अब ना रहा वो गीत,
ना रहा वो गीत गाने वाला,
अफसोस हुआ मुझे कुछ ज्यादा।
तन्मयता से एकाग्र हुआ,
जिस लक्ष्य जीवन का पाने को,
एकाकी हो नैन आद्र हुए,
अश्रु के दो बूँद बहाने को,
पता चला अब ना रहा वो मीत,
ना रहा वो अश्रु बहाने वाला,
अफसोस हुआ मुझे कुछ ज्यादा।

वे जो मुझको अपना कहते,
हर वक्त है मेरे पास रहते,
जीवन की धारा के वेग में भी,
बिन सोचे जो मेरे साथ है बहते,
पता चला अब ना रहे वे अपने,
ना रहे वे अपने कहने वाले,
अफसोस हुआ मुझे कुछ ज्यादा।

जिसने मुझपे सब वार दिया,
जो थी मेरी संगीनी प्रिया,
जिसके प्यार के छावँ में,
इक पल में मैने सौ जन्म जिया,
पता चला अब ना रहा वो प्रीत,
ना रहा वो प्रीत निभाने वाला,
अफसोस हुआ मुझे कुछ ज्यादा।

मेरे मित्र,मेरे हमराज साथी,
जीवन में रहे जो संग संगाती,
मुस्कुराहट दे गये मुझे वो,
अश्रु नैनों में अब याद कर उन्हें आती,
पता चला अब ना रहे वे साथी,
ना रहे वे साथ निभाने वाले,
अफसोस हुआ मुझे कुछ ज्यादा।

जिसकी खातिर सब छोड़ गया मै,
अपनों से भी मुख मोड़ गया मै,
समझा जिसको ताउम्र खुदा,
वो भी हो गया है आज जुदा।

प्राण नहीं था अब मेरे तन में,
मै तो था अकेला अनंत गगन में,
पता चला तब जाकर मुझे,
अब ना रहा वो जीवन,
ना रहा वो जीवन जीने वाला,
अफसोस हुआ मुझे कुछ ज्यादा।

23 comments:

Sushil Bakliwal said...

बहुत बढिया...

kshama said...

Behad bhavuk rachana hai!Aise kisee ka na rahna kitna khalee pan kaa ehsaas deta hai!

babanpandey said...

सुंदर भाव ..सुदर मनोभाव

निर्मला कपिला said...

भावनाओं को अच्छे शब्द दिये हैं। शुभकामनायें।

राज भाटिय़ा said...

सुंदर भाव से सजी आप की यह रचना बहुत अच्छी लगी धन्यवाद

Anonymous said...

मनोभावों की मार्मिक प्रस्तुति

प्रवीण पाण्डेय said...

भावुक करती कविता।

Creative Manch said...

ह्म्म्म...

होता है ऐसा भी !

डॉ. मोनिका शर्मा said...

संवेदनशील ....भावनात्मक प्रस्तुति....

Udan Tashtari said...

सुन्दर अभिव्यक्ति!

Atul Shrivastava said...

संवेदना से भरी मार्मिक रचना। बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिए आपको बधाई।

Sadhana Vaid said...

बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! शुभकामनायें एवं साधुवाद !

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

सत्यम शिवम भाई अभिव्यक्ति की राह पर आप हमेशा अग्रसर रहें, यही शुभ कामना है|

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत सुन्दर रचना !

Akshitaa (Pakhi) said...

बहुत सुन्दर कविता ....अच्छी लगी.

______________________________
'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !

Kailash Sharma said...

बहुत भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति..

Dr (Miss) Sharad Singh said...

कविता बहुत सुन्दर और भावपूर्ण .....
.....अत्यंत मार्मिक रचना , बधाई.

Anupama Tripathi said...

सच में जीवन में हर पल सब बदलता ही रहता है -
इसी बदलाव को दर्शाती सुंदर मर्मस्पर्शी रचना -
बधाई

अजय कुमार said...

सुंदर भावनात्मक प्रस्तुति

मुकेश कुमार सिन्हा said...

behad sanvedanshil rachna...:)

ममता त्रिपाठी said...

सत्यम् शिवम् जी!

कोटिशः धन्यवाद!
चर्चामञ्च में "अभिनव रचना" के सम्मिलन हेतु।

सुव्यवस्थित प्रस्तुीकरण। कोई भी कोना ऐसा नहीं बचा है जो अछूत रह गया हो, काव्य, गद्य, हास्य, विज्ञान, पाकशास्त्र से लेकर बच्चों के ब्लॉग-लेखन, सभी को आपने स्थान दिया है, जो निश्चित ही प्रशंसनीय है।

ममता त्रिपाठी said...

धन्यवाद देने आयी थी एक अच्छी कविता भी पढ़ ली। धन्यवाद।

Er. सत्यम शिवम said...

आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।