Tuesday, April 12, 2011

इक बार जो आ जाती तुम

बरस जाती बिन बादल बूँदे,
मोर पँखो को फैलाता,
इक बार जो आ जाती तुम,
टूटे दिल को देने दिलासा!
दृश्य होता सब आँखे मूँदे,
नया ख्वाब कोई सजाता,
हसरतों की बुझती लौ को,
मिल जाती उजाले की आशा!

इक बार जो आ जाती तुम,
टूटे दिल को देने दिलासा!

आओ फिर से वो गीत सुने,
गीतों का जमाना याद आता,
इक गीत मै गाता,इक गीत तुम,
गीतों में ही हर ख्वाब बुन जाता!

इक बार जो आ जाती तुम,
टूटे दिल को देने दिलासा!

हम कब से बेगाने बने,
तुमको मै फिर से यूँ मनाता,
मै लोरी गाता,तुम सो जाती,
हर रात तुमको ऐसे सुलाता!

इक बार जो आ जाती तुम,
टूटे दिल को देने दिलासा!

कुछ बात दिल में है दबी,
जो तुमसे कहनी है जरुरी,
ये बेवफाई नहीं है मेरी,
ये तो है मेरी मजबूरी!
तुमको मै समझाता,
तुमको मै बताता!

इक बार जो आ जाती तुम,
टूटे दिल को देने दिलासा!

कैसे भूल गयीं वो सारी कसमें,
जो हमने कभी खायीं थी,
टूट गयी रिश्ते की डोर,
जो हमने कभी बाँधी थी,
मै तो ना तुमको भूल पाता,
दिल को कैसे समझाता?
इक बार जो आ जाती तुम,
टूटे दिल को देने दिलासा!

उर के नभ पे बिजली सी कौंधे,
पहले ना क्यों मै जान सका,
बेवफाई ने ओढ़ी वफा की  चादर,
तुमको क्यों ना पहचान सका!
तुम ना थी कभी मेरे जैसी,
ना मै था तुम्हारे जैसा!

इक बार जो आ जाती तुम,
टूटे दिल को देने दिलासा!

13 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बस एक बार तेरा आना हो, वाह।

संजय भास्‍कर said...

बरस जाती बिन बादल बूँदे,मोर पँखो को फैलाता,इक बार जो आ जाती तुम,टूटे दिल को देने दिलासा!
रचना में भावाभिव्यक्ति बहुत अच्छी है ...बधाई.

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन और प्यारी रचना के लिए बधाई!
दुर्गाष्टमी और रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

Rajesh Kumari said...

vo geet yaad aata hai....tujhe kho diya hume paane ke baad ,teri yaad aai tere jaane ke baad....achchi prastuti.

PRIYANKA RATHORE said...

pyar se rangi huyi khoobsurat rachna...aabhar

मनोज कुमार said...

सुंदर अहसासों की अभिव्यक्ति मन को हर्षित कर गई।

संजय कुमार चौरसिया said...

बहुत ही खुबसुरत रचना

रामनवमी पर्व की ढेरों बधाइयाँ एवं शुभ-कामनाएं

vandana gupta said...

सुन्दर अहसासो का सुन्दर समन्वय्।

Coral said...

सच में सिर्फ एक बार

खूबसूरत

Coral

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुंदर सच्चे भाव लिए मन की पुकार .....बहुत बढ़िया रचना

विशाल said...

बहुत सुन्दर रचना.
दिल से उठे भाव शब्दों में ढल गए

Dr Varsha Singh said...

बरस जाती बिन बादल बूँदे,
मोर पँखो को फैलाता,
इक बार जो आ जाती तुम,
टूटे दिल को देने दिलासा!
दृश्य होता सब आँखे मूँदे,
नया ख्वाब कोई सजाता,
हसरतों की बुझती लौ को,
मिल जाती उजाले की आशा!
इक बार जो आ जाती तुम,...


आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।

Yogesh Amana Yogi said...

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