Sunday, April 17, 2011

मैने देखा है चमत्कार

मैने देखा है चमत्कार!
वही न जो लहलहाती हरियाली से गुजरता हुआ,
नदियों के बहते जल को छूता हुआ,
नभ में पंक्षियों के संग उड़ता हुआ,
मेरी जिंदगी में खुशियों के रंग भरता है!
अदृश्य परोपकारी इस अनुभव को,
हम सब करते है नमस्कार!
मैने देखा है चमत्कार!

माँ की दुआओं में होता है,
पिता की कमाई में होता है,
भाई के दुलार में होता है,
प्रेमिका के प्यार में होता है!

परिवार के हर सपनों को,
करता है वो साकार!
मैने देखा है चमत्कार!

बंजर,सुखाड़ भूमि पर कभी,
अमृत-रस बन बूँदो सा बरसता है!
जीव-जगत के हर इक जीव में,
जीवन का संचार करता है!
कभी-कभी बिन माँगे ही,
सब कुछ दे देता है!

भगवान की इस बंदिगी का,
सारे भक्त करते है सत्कार!
मैने देखा है चमत्कार!

मन में कही आत्मविश्वास सा भर जाता है,
सोई किस्मत को चुपके से जगाता है,
मुझे इक पल में रंक से राजा बनाकर,
अपना विस्तृत स्वरुप दिखाता है!

खुद से ही खुद का कराता है साक्षात्कार,
मैने देखा है चमत्कार!

सूरज की पहली किरण में होता है,
शाम की खामोशी में बयाँ होता है,
तकदीर का रुख मोड़ देता है पल में,
दिलों के हौसले में जवां होता है!
बच्चों में पालित होता है,
बनकर माँ-बाप का संस्कार!
मैने देखा है चमत्कार!

जग के अविष्कारों से परे,
सत्कर्म का इक मीठा सा फल!
भगवतकृपा का अमृत जल,
वो सदैव मेरी आस्था में,मेरी भावना में,
और दुखियारी गली में,दीनबंधु सा दिख जाता है!

वो सत्य को बल और इंसानियत को देता है आधार!
मैने देखा है चमत्कार!

18 comments:

मनोज कुमार said...

सुंदर कविता।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया दोस्त!

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद

निवेदिता श्रीवास्तव said...

प्रभावी भाव ....

प्रवीण पाण्डेय said...

सचमुच है चमत्कार।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत प्रभावशाली रचना ..एक चमत्कार जैसी ...

kshama said...

Aprateem rachana!

रचना दीक्षित said...

बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद

वाणी गीत said...

हमने भी देखा है ऐसा चमत्कार ...
अच्छी कविता !

udaya veer singh said...

pathaniy ,sahaj samvedanshil kavy rachana . sunder laga .

संजय भास्‍कर said...

बहुत प्रभावशाली रचना
आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सकारात्मक सोच। सुंदर कविता।
..चमत्कार को नमस्कार।

Anita said...

सचमुच चमत्कार तो हर पल घटता है अगर कोई आँख पैनी हो तो देख पायेगी ! सुंदर कृति !

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर...

रजनीश तिवारी said...

बहुत सुंदर रचना । बधाई एवं शुभकामनायें ।

बाबुषा said...

bahut barhia ! maine bhi dekha hai chamtkaar ! :-)

monali said...

Is kavita me bhi le raha wahi param pita aakar.. ho raha har shabd me har vakya me maano sakaar.. maine bhi dekha h chamatkar :)

Er. सत्यम शिवम said...

आपसबों को बहुत बहुत धन्यवाद।