Monday, April 18, 2011

बस मै था....

"आज आप सब के समक्ष अपनी एक लम्बी आध्यात्मिक कविता "आत्मा की प्यास" की कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ,ये पूरी कविता मैने जीवनोपरांत आत्मा के स्वरुप और जीवन के बाद आत्मा को मिलने वाले  राहों व अवरोधों पर लिखा है....."

ना भय था,ना संशय था,
ना ही अब कोई विस्मय था,
अब मै था,बस मै था।
ना कोई हम थे,ना कोई तुम थे,
चारों ओर मेरे,बस मै था।

एक प्रकाश था,वो भी मै था,
एक अंधकार था,वो भी मै था,
एक डर था,एक असर था,
एक बात थी,किसी की आस थी।

फिर भी जो भी था,  
वो मै था,बस मै था।

ना राहें थी,ना अवरोध था,
ना वन थे,ना पर्वत था,
ना सागर था,ना मरुभूमि थी,
ना ही कोई मृगमरीचिका थी।

सब मै था,बस मै था।

ना कोई प्यास थी,ना कोई भूख,
मै ही था हर सुख दुख,
मै तूझमें था,मै उसमें था,
मै खुद में था,मै सब में था।

बस मै था,मै ही तो था।
ना शरीर थी,ना रुह थी,
ना आँख था,ना नूर थी,
बस आत्मा,परमात्मा के संग थी,
वो परमात्मा ही तो मै था।

वो एक प्रकाश जो अनंत था,
अव्याप्त था,निराकार था,
अविचल था,अनुपम था,
अद्भूत था,वो मै ही तो था।

मै ही था,बस मै ही था। 

17 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत बढ़िया.

kshama said...

Shayad aisa hee hota ho!Aham bramhasmi!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आनंद की अनुभूति प्रदान करती सुन्दर रचना ...

Sushil Bakliwal said...

उत्तम आध्यात्मिक रचना...

प्रवीण पाण्डेय said...

सभी द्वन्दों से परे निर्द्वन्द स्थिति, बहुत सुन्दर कविता।

***Punam*** said...

बहुत सुन्दर ...

बस मैं ........!!

राज भाटिय़ा said...

अति सुंदर रचना, धन्यवाद

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर काव्य रचना ......सुखद अनुभूति देती.....

संजय भास्‍कर said...

ना कोई प्यास थी,ना कोई भूख,मै ही था हर सुख दुख,मै तूझमें था,मै उसमें था,मै खुद में था,मै सब में था।
बिल्‍कुल सच कहती ये पंक्तियां ...भावमय करते शब्‍द ।

Coral said...

bahut sundar

Asha Joglekar said...

अहं ब्रम्हास्मि का अहसास दिलाती हुई कविता । बहुत ही सुंदर ।

निवेदिता श्रीवास्तव said...

बेहद प्रभावी भाव .....

Santosh Pidhauli said...

बहुत खूब सुन्दर पोस्ट के लिए
बधाई ......

Dr (Miss) Sharad Singh said...

आध्यात्मिक चिन्तन की उम्दा अभिव्यक्ति.

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

वाकई बहुत सुंदर रचना है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर और भावप्रणव रचना!

वीना श्रीवास्तव said...

यह वह स्थिति है जहां ब्रह्म और मैं एकाकार हो जाते हैं...
बहुत सुंदर आध्यात्मिक तत्व को समेटती हुई रचना
दिल से बधाई....
आगे भी ईश्वर आपको ऐसी ही प्रेरणा दे...