आज मेरी लम्बी अध्यात्मिक कविता "तू है कहाँ" की कुछ पंक्तियाँ.....
तू प्रीत है,तू मीत है,
जीवन का तू संगीत है!
मै गा रहा हूँ गीत जो,
वो भी तो तेरा ही कृत है!
सुर सार तू,मल्हार तू,
मन के जीत का आधार तू!
आ जा ना,आ जा ना,
एक बार इधर भी आ जाना!
जो तेरे दरस को तरसे है सदियों से,
उन नैनों की प्यास बुझा जाना!
मन की धरती पर आज प्रभु,
हरियाली बन कर छा जाना!
रुत बदल रही,मन धीर धरा,
तेरे प्रेम से मै भी भींग रहा!
क्या रुत है ये,तू साथ मेरे,
जीवन में अब तो रंग भरे!
तेरे अद्भुत पुंज में आज प्रभु,
मधुर संगीत की गूँज भरी!
अब लगता है,कि पा लेगा,
ये तुच्छ मानव भी रास्ता!
मँजिल नहीं ना लक्ष्य है,
अब तो ये मन तेरे समक्ष है!
है मिल गया,तू ऐसे आज,
जैसे मिला हो सर पे ताज!
जीवन मेरा अब है पृथक,
तेरे संग-संग ही है सरस!
15 comments:
सुर-तार तू मल्हार तू, मन की जीत का आधार तू.
उत्तम भावाभिव्यक्त...
वह अद्भुत है।
तू प्रीत है,तू मीत है,जीवन का तू संगीत है!
मै गा रहा हूँ गीत जो,वो भी तो तेरा ही कृत है!
बहुत - बहुत सुन्दर रचना... बेमिसाल
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (25-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बेहतरीन!
मन को शांति प्रदान करने वाली कविता।
एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती भावपूर्ण सुंदर कविता...
भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई
आ जा ना,आ जा ना,एक बार इधर भी आ जाना!जो तेरे दरश को तरसे है सदियों से,उन नैनों की प्यास बुझा जाना!मन की धरती पर आज प्रभू,हरियाली बन कर छा जाना!
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
kafi gahri abhivyakti
मँजिल नहीं ना लक्ष्य है,
अब तो ये मन तेरे समक्ष है!
है मिल गया,तू ऐसे आज,
जैसे मिला हो सर पे ताज!....
बहुत गहन चितन से परिपूर्ण सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
bahut sundar rachna hai...........
प्रभावी वर्णन ....चित्र भी अच्छा है !
bahut achchhi kavita
sunder bhaavbhivyakti.
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