मै मानव हूँ,या दानव हूँ,
प्रकाश हूँ,या अंधकार हूँ।
कोई संगीत हूँ,या कोई शोर हूँ,
न जाने किसका मै छोर हूँ?
दिन हूँ,या रात हूँ,
शब्द हूँ,या बात हूँ।
इस प्रश्न पर आज क्यों मौन हूँ,
न जाने मै कौन हूँ?
मै कौन हूँ,मै कौन हूँ?
भोर की मधुबेला हूँ,शाम की गोधुली वेला हूँ,
दुनिया के भीड़ में भी,
न जाने क्यों,
मै तो बस आज अकेला हूँ।
सूरज की पहली किरण हूँ,
या सूर्यास्त की लालिमा हूँ।
दिन का ऊजाला हूँ,या रात की कालिमा हूँ।
इस प्रश्न पर आज क्यों मौन हूँ,
न जाने मै कौन हूँ?
मै कौन हूँ,मै कौन हूँ?
मै फूल हूँ,या शूल हूँ,
मिट्टी हूँ मै या धूल हूँ।
इक बीज हूँ,या वृक्ष हूँ,
सुदूर हूँ या समक्ष हूँ।
मै डाली हूँ,या तना हूँ,
किस रँगरुप में मै सना हूँ।
मै इक फूल हूँ,या पूरा बाग हूँ,
इक हँस हूँ,या मै काग हूँ।
इस प्रश्न पर आज क्यों मौन हूँ,
न जाने मै कौन हूँ?
मै कौन हूँ,मै कौन हूँ?
इक धारा हूँ,या नदी हूँ,
सागर हूँ,युग हूँ,मै सदी हूँ।
इक आत्मा हूँ,या परमात्मा हूँ,
सगुण हूँ,या निर्गुण हूँ।
इक ख्वाब हूँ,या सत्य हूँ,
जीवित हूँ मै या मृत हूँ।
मनमीत हूँ,मनचोर हूँ,
अलगाव हूँ,या जोड़ हूँ।
इस प्रश्न पर आज क्यों मौन हूँ,
न जाने मै कौन हूँ?
मै कौन हूँ,मै कौन हूँ?
दुर्बल हूँ मै या सर्वशक्तिमान हूँ,
इक सत्य से अनजान हूँ।
मै ज्ञान हूँ,विज्ञान हूँ,
मुर्ख हूँ मै अज्ञान हूँ।
समझदार हूँ या नादान हूँ,
सम्मान हूँ,या अपमान हूँ।
आदि हूँ मै या अंत हूँ,
कब से हूँ मै,जब से हूँ मै।
इस प्रश्न पर आज क्यों मौन हूँ,
न जाने मै कौन हूँ?
मै कौन हूँ,मै कौन हूँ?
मै गगन हूँ,अंतरिक्ष हूँ,
मँजिल हूँ मै ,मै ही लक्ष्य हूँ।
इक तारा हूँ,या चाँद हूँ,
मै एक हूँ,या अनेक हूँ।
नारी हूँ मै या पुरुष हूँ,
ममता हूँ मै,मै ही प्रेम हूँ।
आँख हूँ या आँखों का काजल हूँ,
आँसू की हर बूँद का इक जल हूँ।
इक क्षण हूँ,इक पल हूँ,
निर्बल हूँ,या सबल हूँ।
इस प्रश्न पर आज क्यों मौन हूँ,
न जाने मै कौन हूँ?
मै कौन हूँ,मै कौन हूँ?
मै शिशु हूँ,या पिता हूँ,
बच्चा हूँ,या माता हूँ।
जग हूँ मै संसार हूँ,
जीत हूँ या हार हूँ।
सृजन हूँ मै संहार हूँ,
घृणा हूँ या मै प्यार हूँ।
मै भाव हूँ,या अभाव हूँ।
इस प्रश्न पर आज क्यों मौन हूँ,
न जाने मै कौन हूँ?
मै कौन हूँ,मै कौन हूँ?
मै प्रश्न हूँ,या हल हूँ,
मै आज हूँ,या कल हूँ।
मै भूत हूँ,या भविष्य हूँ,
अज्ञात हूँ,या दृश्य हूँ।
मै देश हूँ,मै ही वेश हूँ,
माहौल हूँ मै परिवेश हूँ।
जो हूँ मै वही हूँ क्या,
या सब कुछ है जगत में मिथ्या।
इस प्रश्न पर आज क्यों मौन हूँ,
न जाने मै कौन हूँ?
मै कौन हूँ,मै कौन हूँ?
मै तुझमे हूँ,मै खुद में हूँ,
क्यों मै हूँ,तुम क्यों ना हूँ?
इक क्षण में हूँ,इक पल में हूँ,
मै तो अनंत युग और सदियों में हूँ।
ब्रह्मांड हूँ,इक प्राण हूँ,
शांति हूँ,स्नेह हूँ,निर्वाण हूँ।
अनुभव हूँ मै,अनुमान हूँ,
हर जीव की इक पहचान हूँ।
सम्पूर्ण हूँ मै,आत्मज्ञान हूँ,
ईश्वर हूँ मै,मै ही भगवान हूँ।
इस प्रश्न पर आज क्यों मौन हूँ,
न जाने मै कौन हूँ?
मै कौन हूँ,मै कौन हूँ?
26 comments:
मैं कौन हूं ..कभी सवाल बना कभी खुद ही जवाब ..बेहतरीन शब्दों का संगम ... यह अभिव्यक्ति शुभकामनाओं के साथ बधाई ।
हर सवाल लाज़वाब.....
bhaut hi gahan abhivaykti.....
आप ख़ुदा के बंदे हो और आपका काम उसका हुक्म मानना है ताकि वह आपको दिव्य लोक में अमर जीवन दे , एक ऐसा लोक जहां आपके हर सवाल का जवाब आपको मिल जाएगा।
आमीन !!!
गहन, सघन एवं रहस्यमयी अभिव्यक्ति ! बहुत सुन्दर रचना ! हर इंसान को इन सवालों के जवाबों की तलाश है !
सदियों से यही प्रश्न विशेष दर्शन प्रस्तुत करता है।
Is sawaal pe ham sabhee maun ho jate hain! Bahut sundar rachana!
गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! सुन्दर शब्द और चित्र के साथ ज़बरदस्त प्रस्तुती!
अर्थपूर्ण सोच लिए प्रश्न ...सुंदर रचना
हर इंसान समझ पाए अपने आपको कि वह क्या है है तो सब भेदभाव मिट जाए दुनिया से ...
सार्थक प्रश्न !
वाह ! सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समां गया इस 'मैं ' में .....
बहुत सुन्दर शब्द और गहरे भावों से परिपूर्ण इस रचना के लिए आप बधाई के पात्र हैं...सदियों से मानव अपने आप से सवाल करता आया है...मैं कौन हूँ? लेकिन ऐसा उत्तर जो संतोष जनक हो अभी अपेक्षित है...
नीरज
गहन, अभिव्यक्ति... बहुत सुन्दर शब्द संयोजन... सचमुच बड़ा कठिन सवाल है "मैं कौन हूँ???"
सत्यम जी आपका ब्लॉग बहुत सुन्दर है इसका कारण आपका सोफ्ट वेयर इंजिनियर होना नहीं बल्कि आपका सुन्दरता के प्रति रुझान होना है. ऐसे सुन्दर ब्लॉग की कल्पना और उसे मूर्त रूप देने का काम कोई कलाकार ही कर सकता है...मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें.
नीरज
is sawal ka jabab koi nahin janta.....bas atkalen lagate rahte hain.....bahut sunder likhe hain.
बहुत खूब....वाकई एक यक्ष प्रश्न है ये...मैं कौन हूँ...???
बधाई!!
प्रश्न करती एक बहुत सुंदर रचना । प्रश्न में ही उत्तर है । बधाई ।
मैं कौन हूँ ? ..अनुतरित प्रश्न ..जिसका जबाब मुश्किल है ..बस इतना कह सकते है कि हम एक साघारण इंसान है उस ऊपर वाले कि अद्भुत रचना ..आपके ब्लॉग पर आना अच्छा लगा
आपकी पोस्ट सोमबार १४/११/११ को ब्लोगर्स मीट वीकली (१७)के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह हिंदी भाषा की सेवा अपनी रचनाओं के द्वारा करते रहें यही कामना है /आपका "ब्लोगर्स मीट वीकली (१७) के मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें /आभार /
कैसे समेट लिया इतना कुछ को .मैं हैरान हूँ. सही में काव्य का सृजन कर दिया..बहुत ही अच्छा लिखा है .बार-बार पढ़ना अच्छा लग रहा है.बधाईयाँ.
शिवमजी,'मैं कौन हूँ' यह तो आप का नाम ही चरितार्थ कर देता है कि आप 'शिव'हैं|आप ही क्यों इस जग में सभी 'शिव' हैं| बस उसे जैसे सूर्य-किरणों में अदृश्य पानी की बून्दें होती हैं और जिसका पता लगाने के लिए हमें कुछ विशेष करना होता है, वैसे ही शिवरुपी 'मैं' को जानने के लिए भी कुछ विशेष करना होता है....
"शिवोहम्,शिवोहम्, शिवोहम्,शिवोहम्,
सच्चिदानन्दरूप मैं ही तो हूँ ब्रह्म |"
bhut khub......
ज़बरदस्त प्रस्तुती, great
सुन्दर शब्दों का संगम के साथ ग्गहन सवाल.? रहस्यमयी सुन्दर विचारणीय अभिव्यक्ति ! ...बधाई सत्यम...
किसी को नही पता कि " मै कौन हूँ "
बस
एक जमाल जी मिले यह बताने वाले कि " मै कौन हूँ "
गजब है पूरा दर्शन ही जान गये जमाल जी
किसी को नही पता कि " मै कौन हूँ "
बस
एक जमाल जी मिले यह बताने वाले कि " मै कौन हूँ "
गजब है पूरा दर्शन ही जान गये जमाल जी
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