तुम चली गयी,
पर गया नहीं,
एहसास तुम्हारे होने का।
दिल के खाली उस कोने का,
वो दर्द तुम्हारे खोने का।
गुमशुम हूँ,चुप हूँ,खोया हूँ,
एकाकीपन में रोया हूँ,
कभी शाम ढ़ले फिर आओगी,
पलकों पे सपने बोया हूँ।
अब बीत गयी है रात,
नहीं तुम पास,
पहर ये रोने का।
तुम चली गयी,
पर गया नहीं,
एहसास तुम्हारे होने का।
सूनापन मन में छाया है,
पतझड़ का रुत फिर आया है,
खाली,खाली तुम बिन आँगन,
आँसू ने साथ निभाया है।
कुछ बूँद गिरे,
बन याद तेरे,
ये वक्त है कल में खोने का।
तुम चली गयी,
पर गया नहीं,
एहसास तुम्हारे होने का।
मन वीणा के हर तार से,
झंकृत होती तेरी आहट,
हर मौन मुखरित हो जाता है,
लहरे जो बुलाती सागर तट।
कुछ कदम बढ़े,
कुछ ठहर गये,
टूटे सपनों को बोने का।
तुम चली गयी,
पर गया नहीं,
एहसास तुम्हारे होने का।
नभ जो है समाया आँखों में,
तारों से सपने दिखते है,
कोरे पन्नों पे मन व्याकुल,
आकुल अंतर का लिखते है।
तेरी राह तके,
सदियों जागे,
कुछ देर तो हक है सोने का।
तुम चली गयी,
पर गया नहीं,
एहसास तुम्हारे होने का।
दिल के खाली उस कोने का,
वो दर्द तुम्हारे खोने का।
26 comments:
भावों की गहरी अभिव्यक्ति, बहुत ही कठिन है मन को इस प्रकार कह पाना।
भावमय करते शब्दों का संगम ...
अद्भुत...दिल को छूती मार्मिक रचना...बधाई स्वीकारें
नीरज
तुम चली गयी,
पर गयी नहीं,
एहसास तुम्हारे होने का।
दिल के खाली उस कोने का,
वो दर्द तुम्हारे खोने का।
Bahut,bahut sundar!
jitni tarif karu kam hai
bahut hi gahri ,dard nayak kavita
http://blondmedia.blogspot.in/
आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार २२ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
गहन भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति..सस्नेह...
भाव जगत को झंकृत करती इतनी सुन्दर कविता ,अब इससे आगे क्या हो कविता .सुन्दरम मनोहरं ...कृपया यहाँ भी पधारें -
भ्रूण जीवी स्वान
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_22.html
ram ram bhai .कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 22 मई 2012
ये बोम्बे मेरी जान (भाग -5)
http://veerubhai1947.blogspot.in/
यह बोम्बे मेरी जान (चौथा भाग )http://veerubhai1947.blogspot.in/
कृपया यहाँ भी पधारें -
दमे में व्यायाम क्यों ?
दमे में व्यायाम क्यों ?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_5948.html
कितना सुंदर...
सादर।
अति सुन्दर भावपूर्ण रचना:-)
सुन्दर प्रस्तुति:-)
एहसास है तो अभिव्यक्ति है...अभिव्यक्ति बहुत खूबसूरत !!
मन के भाव जो किसी से कहें नहीं गए ....वो यहाँ ऐसे शब्दों के रूप में ...लिख डाले गए हैं
बहुत खूब
वाह !
गहन भावमय प्रस्तुति.
अंतर्मन को छूती हुई.
जानकर अच्छा लगा कि भगवान में
आपका प्रगाड़ विश्वास है.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
हार्दिक स्वागत है आपका.
दिल को अंदर तक भीगोती रचना, गहन भाव !
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
bahut khoobsoorat
मन वीणा के हर तार से,
झंकृत होती तेरी आहट,
हर मौन मुखरित हो जाता है,
लहरे जो बुलाती सागर तट।
कुछ कदम बढ़े,
कुछ ठहर गये,
टूटे सपनों को बोने का।
बहुत गहरी पंक्तियाँ और भाव उकेरें हैं हैं इस शब्द शिल्प ने.... दिल से बधाई
मुकेश कुमार तिवारी
बहुत सुन्दर!
bahit sunder.
भावों की गहरी अभिव्यक्ति!अद्भुत!
Please visit-
http://voice-brijesh.blogspot.com
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति विचारों की | आभार
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://www.tamasha-e-zindagi.blogspot.in
http://www.facebook.com/tamashaezindagi
तुम चली गयी,
पर गयी नहीं,
एहसास तुम्हारे होने का।
bahut hi sundar rachna,dil ko chu gyi
एक असहनीय दर्द को दर्शाती रचना ...बहुत सुंदर
bahut sunder .........prastuti
plz visit here also..
anandkriti
http://anandkriti007.blogspot.com
अहसास एक बहुत गहन मनोभाव है | सुन्दर प्रस्तुति | मेरे ब्लॉग पर भी <a href="http://savitrikala.blogspot.in/2014/02/blog-post.html>अहसास</a> पर पढ़े |
दिल को छूती मार्मिक रचना
Post a Comment