हुआ था दिल बस तार तार।
व्याकुल,संकोची बन बैठा,
आ गई थी चिडिया जो फिर इस बार।
धडकन की गति बढ गई,
चिडिया तो कही ना मर गई।
मेरी प्यारी नन्ही सी जान,
अनहोनी से बिल्कुल अनजान,
मिलना था मुझसे ही उसको,
मैने ही किया उसके तन का अवसान।
वो तो थी बस प्यार दिवानी,
करुणा की नन्ही सी कहानी,
गुनहगार तो था मै ही,
करनी से अपने शर्मशार।
आ गई थी चिडिया जो फिर इस बार।
1 comment:
kya baat hai!
sala tum to kavi ban gaya!
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