मुट्ठी में सिमटे,हथेली पे बिखडे.।
थोडे से कच्चे,छोटे छोटे बच्चे,
बिल्कुल सच्चे,कितने अच्छे।
उसके सपने है कुछ ऐसे।
है छोटा सा कद,आसमाँ का तलब,
नन्हे से पावँ,नैनों में जलद,
बिखरे से है लट,मुख पे है ये रट,
उसे बनना है सब से ही अलग।
उसके सपने है कुछ ऐसे।
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