Sunday, February 27, 2011

मैने तुमसे प्यार किया था

मैने तुमसे प्यार किया था,
तुमने क्यों प्रतिकार किया था?
प्रकृति के रस-रंग मनोहर,
लाया था चुन-चुन कर प्रतिपल,
प्यार की सीमा,भाव का सागर,
हमदोनों ने पार किया था।

मैने तुमसे प्यार किया था।

सदियों से तेरी खातिर आया,
पर प्यार तुम्हारा क्यों ना पाया?

निर्झर सा बहता मै कल-कल,
इक प्यार तुम्हारा मिले जो इक पल,
ना सोया था,ना जाग सका,
बस तेरा इंतजार किया था।

मैने तुमसे प्यार किया था।

वो पर्वत ऊँचा,बहती नदी,
सारी धरती थी सजी सजी,
हमदोनों बागों में घूमे,
पनघट पे तू मुझको चूमे।

कब से था जग में एकांत,अकेला,
तुमने प्रिय बाहों का हार दिया था।

मैने तुमसे प्यार किया था।

मतवाला बेताब सा दिल मै,
तेरी चाहत की चौखट पर,
दिल हल्का होता था बस,
काँधे पे तेरे सर रख कर।

बंजारा था इस जग में जब,
तुमने ही संसार दिया था।

मैने तुमसे प्यार किया था।

लगन लगी जब से तेरी मन को,
ना भूख,ना प्यास लगे मेरे तन को,
प्यासी है नैना तेरी दरश जो पाये,
मेरा प्रियतम कभी नजर तो आये।

अधरों से रस पी प्यास बुझाता,
तुमने तो सब कुछ वार दिया था।

मैने तुमसे प्यार किया था।
तुम थी राधा,मै था कान्हा,
है पता मुझे,सबने जाना,
मै राम था,तुम सीता थी प्रिय,
कब से है अपना आना-जाना।

बंशी मै ही बजाता था,
प्यार के मधु-धुन सुनाता था,
हमदोनों ने ही कभी,कही प्रिय,
प्यार के श्रृँगार को आधार दिया था।

मैने तुमसे प्यार किया था।

23 comments:

vandana gupta said...

प्रेम रस से सराबोर बहुत ही सुन्दर रचना दिल मे उतर गयी।

राज भाटिय़ा said...

वाह जी प्रेम का इजहार करती आप की सुंदर रचना, धन्यवाद

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

ZEAL said...

Beautiful creation !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

...प्यारा प्रेम गीत।

दिलबागसिंह विर्क said...

sunder rachna

kshama said...

Bahut,bahut sundar rachana!

सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) said...

आपकी इस प्रेम भरी कविता ने कुछ
गुनगुनाने को बाध्य किया है --
होटों से छू लो तुम,
मेरा गीत अमर कर दो !

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रेम की कठिन समझ हैं।

Dr (Miss) Sharad Singh said...

सुन्दर और भावपूर्ण प्रेम गीत.....बधाई।

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर भावमय करती शब्‍द रचना ....।

Kailash Sharma said...

बहुत भावपूर्ण...बहुत सुन्दर

Dr Varsha Singh said...

क्या बात है...
बहुत खूब...
लाजवाब....
बहुत अच्छी लगी आपकी कविता . बधाई.

Dr Varsha Singh said...

सत्यम शिवम जी,
मनोभावों को खूबसूरती से पिरोया है। एक बार और.... बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं !

Sadhana Vaid said...

श्रृंगार रस में पगी एक बहुत ही भावपूर्ण रचना ! अति सुन्दर ! बधाई एवं शुभकामनायें !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

maine tumhe pyar kiya tha
tumne kyon pratikaar kiya tha..:)

sach me prem ki badi pyari samajh hai:!

शिवा said...

श्रृंगार रस से सराबोर बहुत ही सुन्दर रचना! बधाई
http://shiva12877.blogspot.com

Er. सत्यम शिवम said...

आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत बढ़िया लिखा है दोस्त-आपकी इस पोस्ट का लिंक यहाँ भी है

वीना श्रीवास्तव said...

प्रेम रस में डूबी बहुत प्यारी रचना....

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रिय बंधुवर सत्यम शिवम जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

बहुत सुंदर और भावप्रवण गीत है …
निर्झर सा बहता मै कल-कल,
इक प्यार तुम्हारा मिले जो इक पल,
ना सोया था,ना जाग सका,
बस तेरा इंतजार किया था।

मैने तुमसे प्यार किया था।



एक बार पुनः अच्छे गीत के लिए
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

- राजेन्द्र स्वर्णकार

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण कविता !

Maheshwari kaneri said...

श्रृंगार रस की सुंदर भावपूर्ण रचना .......बधाई।