आखिरी पल का अकेला,
गीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
रुक न जाये श्वास वेला,
मीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
स्नेह का आकाश अब भी,
नेह का दो बूँद माँगे,
अश्रु का प्रवाह बह-बह,
नैनों की फिर बाँध लाँघे।
सिसकियाँ देती है मेरे,
सर्द रातों की गवाही,
तेरे पीछे-पीछे चलता,
बन गया मै प्रेम राही।
सुनहरी रातों का प्रणय रीत,
तुमको ढ़ूँढ़ता है।
आखिरी पल का अकेला,
गीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
किस अधर ने किस घड़ी था,
कंठ से उसको सुनाया,
और वह था गीत कैसा,
जो मेरे अंतस में छाया।
गीत तो था मानो ऐसा,
मौन ने हो शब्द पाये,
चैन की दो बूँद मानो,
विरह के क्षण माँग लाये।
श्वास के बिन फिर बूझा,
संगीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
आखिरी पल का अकेला,
गीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
इससे पहले भी था आया,
राग का प्रवाह मुझमे,
और रातें भी बन आयी,
प्रेम का गवाह मुझमे।
ह्रदय तारों में अजब सी,
एक हलचल उठ रही थी,
प्रेम का हर राह मानो,
मुड़ गया तेरी गली में।
मौन पर फिर सिसकियों का,
जीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
आखिरी पल का अकेला,
गीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
नींद में अब भी है जागी,
याद की सारी कहानी,
भूल कर तुमने किया है,
प्यार पर कोई मेहरबानी।
अब भी आँखें ढ़ूँढ़ती है,
दर-ब-दर बस तुमको ही क्यों,
लुट गयी जब जिन्दगी,
मस्ती मेरी,अल्हड़ जवानी।
कुछ नहीं पर जो बचा वो,
प्रीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
आखिरी पल का अकेला,
गीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
है प्रतीक्षारत नयन किस घड़ी,
प्रेयसी निकट आये,
कंठ के बिन स्वर सजाकर,
कैसे कोई गीत गाये।
चूभ रही है हर घड़ी,
दर्पण तुम्हारी इस नयन में,
स्नेह की अग्नि बिना,
है लौ कैसा इस हवन में।
कँपकँपाती होंठों पे वो ओस जैसा,
प्रलयंकारी शीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
आखिरी पल का अकेला,
गीत तुमको ढ़ूँढ़ता है।
14 comments:
har shabd dil ko chhuta hua....bahut sundar...
Rachana to bahut achhee hai...sirf kaheen kaheen ling me gadbadee lagtee hai. Jaise 'prem ka' nahee balki' prem kee' raah hona chahiye!
Bura to nahee mana aapne?
बहुत सुन्दर सत्यम..
अच्छी रचना...
sunder rachna ..
अतिसुन्दर
सुन्दर रचना
बेहतरीन रचना, अद्भुत भाव..
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
दिल को छूती हुई प्रभावी रचना ...
हृदय स्पर्शी रचना.
satyam jee rachna achchee lagee, aap bahut mehnatee hai aur sahitya premi bhee.badhai
दिल को छू गयी..नहीं , दिल में गा रहा है आपका गीत .
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति....बेहतरीन रचना.....
सभी रचनाओं की तेरह उम्दा भाव की रचना.............
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