तुम दर्द की नायिका,
और मै नायक उस अभिनय का,
जहाँ बस दर्द के ही रास्ते पे,
चलता रहा हूँ मै।
छुपा लिया है मैने,
दर्द की इक पुरानी,
नदी दिल में कही।
जो कभी कभी बूंदे बनकर,
बहती रहती है मेरी इन आँखों से।
कभी हर मंजर दिखा देती है,
सामने उस रात को,
जिनमें तुम्हारे साथ था मै।
मेरा यह अभिनय शायद,
उम्र भर का है,
और दर्द से यह वास्ता भी,
पुराना है।
तभी तो निभाता रहा हूँ,
पूरी ईमानदारी से अपना पक्ष हरदम,
ताकि अपने पात्र को सजीव कर सकूँ।
अचानक कोई तूफान सा आता है,
मेरा घर,मेरा रंगमंच,
मेरा अस्तित्व ही मिट जाता है।
मेरी दर्द की नायिका अब सामने,
नहीं है मेरे,
पर यह दर्द मुझे एहसास कराता है,
तुम्हारे इस अभिनय में कभी होने का।
तुम्हें ढ़ूँढ़ता रहता है यह दर्द का नायक,
अपनी दर्द की नदी में,
भावनाओं की एक नाव पर बैठा।
बस चलता जाता है,
चलता जाता है।
अभी भी शायद इक लगन है,
दिल में कही,
कि डूबता वो हमसफर,
मिल जाये फिर।
दिल में कही,
कि डूबता वो हमसफर,
मिल जाये फिर।
हवायें बहती है,
साँसे चलती है,
और हौले हौले मन में इक,
भय समा जाता है।
क्या अब इस अभिनय में यह,
दर्द का नायक अपनी,
नायिका के बिना ही रहेगा।
समय बीतता है,
हर जख्म भरता जाता है,
और आदत हो जाती है उसे,
तुम्हारे बिन रहने की।
तुम्हारी स्मृतियाँ,तुम्हारा स्पर्श,
सब कुछ धीरे धीरे,
तुम्हारे साथ ही बह सा जाता है,
मेरी दर्द की नदी में।
कभी फिर तूफान आता है,
फिर हवायें तेज चलने लगती है,
और तुम्हारी आहट मेरे चित्रपट पर,
गूँजने सी लगती है।
दौड़ता हूँ कुछ दूर तक,
पीछे पीछे तुम्हारे,
पर अचानक ठहर जाता हूँ मै,
क्योंकि वहाँ आधार नहीं है,
एक गहरी खायी सी है अब,
मेरे और तुम्हारे बीच।
मै अब भी झूठे अभिनय में,
जी रहा हूँ,
अपने दर्द के साथ,
और तुम दर्द की नायिका,
दर्द से कोसों दूर जा चुकी हो।
फिर भी दर्द का रिश्ता मेरा,
और तुम्हारा खींच लाता है,
तुम्हें हमेशा,
पुरानी यादों के सहारे।
अक्सर अपने दर्द के नायक के पास।
16 comments:
dard ki nayika aur us naayak ko naman...parantu dard aur khushi ek hi sikke ke do pahlu hai...dard ke naayak hi khushiyon ke sartaj bante hai....bhaw-purn rachna...badhaai.
आह.. बहुत सुन्दर..
दर्द का रिश्ता ही तो सबसे मजबूत होता है।
दर्द का रिश्ता एक दूसरे के पास खींच लाता है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत अच्छा लिखा है आपने ..
बहुत ही सुंदर अद्भुत चित्रण किया है आपने .............
दर्द का ये चित्रण..बहुत सुन्दर ...
दर्द का ये चित्रण..बहुत सुन्दर ...
दर्द का अद्भुत चित्रण..
लहरों की चादर ओढ़े सी..
shabd nahi hai mere paas,,
sahab kuch kehne koooooooooooooooooooo
shabd nahi hai mere paas,,
sahab kuch kehne koooooooooooooooooooo
ख़ूबसूरत प्रस्तुति, बधाई.
नूतन वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ मेरे ब्लॉग "meri kavitayen " पर आप सस्नेह/ सादर आमंत्रित हैं.
सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन दर्द भरा चित्रण ,.....
नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....
मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
kabhi dard me abhinay kabhi abhinay me dard.......
ye unka abhinay hi naayak ko dard tak le jata hai......aur naayak jab dard me hota hai to wo koi abhinay nai karta.....yahi sach hai....
"naayak ka dard yathaarth hai, naayika ka dard mithya hai"
naye varsh ki hardik shubhkamnaayain.
आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२५) में शामिल की गई है /आप मंच पर पधारिये और अपने सन्देश देकर हमारा उत्साह बढाइये /आपका स्नेह और आशीर्वाद इस मंच को हमेशा मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है /
http://hbfint.blogspot.com/2012/01/25-sufi-culture.html
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