भाभी ने की जो माँ से,
है आज मेरे ब्याह की बात।
मन में मेरे लड्डू सा फूटा।
इक कुँवारे जवान दिल आशिक से,
वर्षो से उसका खुदा जैसे था रुठा।
तन्हाईयाँ डसने लगी थी,
सुंदरियों की खुबसूरत तस्वीरें,
नैनों में मेरे बसने लगी थी।
रोता था रातों को छुपकर,
और दिन में आहे भरता था।
कुँवारी जवानी का बोझ भारी,
दिल पे मै अपने सहता था।
रातों में सपने आती थी,
मुझको दगा दे जाती थी,
कुरेद कर मेरी हसरतों को,
सताती थी और खूब तड़पाती थी।
सदियों के बाद मानों आज,
आई थी वो प्यार की रात।
सुहाने सपनों की रात,
स्वप्न में सुंदरी का साथ।
भाभी ने की जो माँ से,
है आज मेरे ब्याह की बात।
जिंदगी में ना मेरे कोई काम था अब बाकी,
पीने वाला मै ही था,
मै ही मधुशाला और साकी।
लड़खड़ाते कदमों से लुढ़कता रहता रात भर,
परिवार वालों को मेरे कैसे भी पता चले ताकि।
कि पूरा परिवार नहीं है,
कोई काम अभी भी है बाकी,
मेरी दुल्हन है राह देखती,
करवा दो कोई मेरी शादी।
मेरा जीवन तो सूना है,
ये दर्द तो हर दर्द से कई गुणा है।
बिन माँगे ही मिल गयी मुझे तो,
आज कोई सौगात।
भाभी ने की जो माँ से,
है आज मेरे ब्याह की बात।
सेहरा सर पर सजेगा मेरे,
रसगुल्ले,मिठाईयाँ बटवाऊँगा।
कब से था भूखा शादी को,
शादी के रोज खूब खाऊँगा।
गीत सजेंगे होंठों पर,
हर बात तराना बन जायेगा,
अपनी बारात में घोड़ी पर बैठा,
कोई गीत जब मै गाऊँगा।
हाथों में होगा जब किसी का हाथ,
बन जायेगी मेरे किस्से की बात।
मिल जाएगा जो सुंदरी का साथ,
खुबसूरत होगी अब मेरी हर रात।
भाभी ने की जो माँ से,
है आज मेरे ब्याह की बात।
"शादी वो लड्डू है जो खाए वो भी पछताए और जो न खाए वो भी ... तो खा कर ही पछताया जाये :):)"
हा हा हा हा.....:):)
"शादी वो लड्डू है जो खाए वो भी पछताए और जो न खाए वो भी ... तो खा कर ही पछताया जाये :):)"
हा हा हा हा.....:):)