मेरे दुख तूने साथ निभाया।
तब जब कोई न था अपना,
टूट चुका था हर एक सपना।
घर था पर न थी छत ऊपर,
बारिश से भींगा तन तर,तर।
अन्न नहीं थे,वस्त्र नहीं थे,
आँसू के दो बूँद सही थे।
खारेपन में अपनत्व मिलाकर,
तू गागर में सागर भर लाया।
मेरे दुख तूने साथ निभाया।
साँझ ढ़ली जब बैठ अकेला,
जीवन की अंतिम थी बेला।
बीते कल पर हर्ष मनाता,
सुख जब द्वार न मेरे आता।
कष्ट में बन कर मेरी श्रद्धा,
भक्ति का मार्ग दिखाया।
मेरे दुख तूने साथ निभाया।
सब ने मेरा साथ छोड़ा,
श्वांस बचा था थोड़ा,थोड़ा,
नयन बंद थे,भय था भीतर,
ह्रदय पृष्ठ रह गया था कोरा।
शब्द बना तू हर एकांत का,
छन्द बनी अंतस की पीड़ा।
पन्नों में कह गया तू वो सब,
जो मै कभी ना कह पाया।
मेरे दुख तूने साथ निभाया।
सुख था तो मै जग को जाना,
राग,द्वेष का ताना,बाना,
नहीं रहेगा कल जो क्षण भर,
व्यर्थ है उसको पाना।
छुटे साथी,रिश्ते टूटे,
सुख का साथ जो छुटा।
ज्ञात हुआ तब खुद का मुझको,
तूने मुझे,मुझसे ही मिलाया।
मेरे दुख तूने साथ निभाया।
10 comments:
शिवरात्रि की शुभकामना ... सुन्दर पोस्ट के लिए बधाई
दुख ही साथ निभाता है,
निकट कहाँ कोई आता है..
सब ने मेरा साथ छोड़ा,
श्वांस बचा था थोड़ा,थोड़ा,
नयन बंद थे,भय था भीतर,
ह्रदय पृष्ठ रह गया था कोरा।
शब्द बना तू हर एकांत का,
छन्द बनी अंतस की पीड़ा।
पन्नों में कह गया तू वो सब,
जो मै कभी ना कह पाया।
मेरे दुख तूने साथ निभाया।
Behad sundar!
दुःख ही सच्चा साथी है जो राह दिखाता है..सुख तो बस भरमाता है.
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच
पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
सच! दुःख ही सच्चा साथी होता है....
सुन्दर अभिव्यक्ति!
बहुत सुन्दर रचना....
सादर.
waah bahut sunder abhivyakti
sunder kavita hai
बहुत सुन्दर पोस्ट | शुभकामनायें
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
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