स्वर्ग के थे कितने करीब,
संग था जब मेरा मीत,
गूँजा था कण-कण में संगीत,
इक प्रीत का गीत हुआ गुँजित,
स्वर मेरा गया जब तेरे मन को जीत।
स्वर्ग के थे कितने करीब।
माँ की आँचल में स्नेह निद्रा,
पाया मैने वो प्यार सदा,
काँधे पे पिता के था जो सुख,
भूल जाता था पल में जीवन का हर दुख।
हर्ष की मुस्कान ही थी,
जब मेरे अंतरमन के समीप।
स्वर्ग के थे कितने करीब।
बेपनाह रहमतों का सिलसिला,
जिंदगी का हर फूल पल में खिला,
किसमत मेरी हथेली को चूम,
हो गया कही जब शून्य में गुम।
चमका अब मेरे किसमत का सितारा,
मुक्कदर मेरा खुद से ही हारा,
बन गया तब कामयाबी ही,
मेरे रास्ते का सोया नसीब।
स्वर्ग के थे कितने करीब।
छवि दिखी मुझे मोहिनी सी अतिसुंदर,
दृग में कोलाहल मच गया,
स्वर्ण-सुधा की बारिश में तर,
इक नयी कहानी रच गया।
रस-रंग घुली मन में,तन में,
इक स्वाद जगी मुख में बड़ी लजीज।
स्वर्ग के थे कितने करीब।
विपन्नता में संतुष्ट जीवन,
समय ने बनाया इक कुंठित मन,
आकार ने मुझको रुप दिया,
सजा मेरा भी प्राणप्रिय तन।
श्वास था जो साथ हर क्षण,
मेहरबान था मुझपे मेरा रकीब।
स्वर्ग के थे कितने करीब।
काव्य रस में,
मन मेरे बस में,
दुनिया थी बस अब दो ही पग में,
इक पग जीवन का आधार,
दूजा था स्नेह और प्यार।
लेखनी में भरा मैने भाव स्याही,
कविता को अंतर आत्मा ने ब्याही।
व्यक्त हुआ अंतरंग बन मेरा,
कल्पना,विचारों का इक तरकीब।
स्वर्ग के थे कितने करीब।
15 comments:
भाव व रचना ही नहीं आपके ये चित्र भी लग रहे हैं-
स्वर्ग के कितने करीब.
उम्दा रचना...
संग था जब मेरा मीत,
गूँजा था कण-कण में संगीत,
इक प्रीत का गीत हुआ गुँजित,
स्वर मेरा गया जब तेरे मन को जीत।
स्वर्ग के थे कितने करीब। .....
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
बहुत ही कोमल भावनाएं.....
इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आपको हार्दिक बधाई !
बहुत कोमल भाव संजोये अच्छी प्रस्तुति
इक प्रीत का गीत हुआ गुँजित,
स्वर मेरा गया जब तेरे मन को जीत।
स्वर्ग के थे कितने करीब।
माँ की आँचल में स्नेह निद्रा,
पाया मैने वो प्यार सदा....
बहुत ही भावुक एवं मर्मस्पर्शी रचना ....
मन के अन्तरतम में उतरने से ही स्वर्गीय आनन्द मिलता है।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
इक प्रीत का गीत हुआ गुँजित,
स्वर मेरा गया जब तेरे मन को जीत
मन में समाई
सार-लहरी से उपजे
बहुत ही काव्यमय शब्द ...
बहुत अच्छी रचना !
bahut sundar rachna likhi hai .jab baat hamare man ke hisaab se hoti to har cheez khoobsurat hoti hai .
सत्यम जी निमंत्रण के लिए शुक्रिया ....परीक्षा का समय नजदीक आ रहा है इस कारण मुझे कुछ दिनों के लिए ब्लॉग्गिंग से विदा लेनी होगी ....लेकिन जैसे ही मुझे समय मिलेगा मै आपका संघ जरूर ज्वाइन करूंगी ....
आभार .
bahut khubsurat..in short lajabab.....
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।
@प्रियंका जी...कोई बात नहीं ,जब भी आप फ्री हो....तब अपना सहयोग अवश्य दे...धन्यवाद।
अच्छे दिल के लोग अपनी छाप छोड़ने में हमेशा समर्थ रहते हैं ! बदला हुआ प्रोफाइल फोटो अच्छा लगा !
शुभकामनायें शिवम् !
bhai , sabse pahle to main aapki hindi ki tareef karunga , kitna sundar likhte ho yaar ..
badhayi
सराहनीय लेखन कोटि-कोटि बधाई।
आपका होली के अवसर पर विशेष ध्यानाकर्षण हेतु.....
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देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
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होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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