यह नहीं अभिमान मेरा,
कि तू बसता है मुझी में।
सत्य की तू प्रेरणा देता,
जीवंत होकर मेरी सुधी में।
मै भटकता राह जब हूँ,
राह में तू आ कर कहता,
जिन्दगी के इस सफर में,
तू तो मेरे साथ ही रहता।
ह्रदय में प्राण श्वासों सा,
हर क्षण है तेरा बसेरा।
यह नहीं अभिमान मेरा।
भय नहीं मुझको सताता,
सोचता हूँ साथ है तू,
क्या है मेरे पास अपना,
जो मै तुमको भेंट में दूँ।
कर स्वीकार आज मेरे,
नश्वर तन का दान मेरा।
यह नहीं अभिमान मेरा।
दौड़ता मै हूँ कभी ना,
पर समय पर पहुँच जाता,
खोकर अपना सर्वस्व हरदम,
सम्पूर्ण तुमको पा ही जाता।
सारी कृति है तुम्हारी,
है ये सारा ज्ञान तेरा।
यह नहीं अभिमान मेरा।
द्वंद से कारण जो उपजे,
इसका हल तुझमें छुपा है,
मिल रहा सान्निध्य तेरा,
ये भी तो तेरी ही कृपा है।
जब से जाना है तुम्हें मन,
मिल गया है नाम मेरा।
यह नहीं अभिमान मेरा।
साँस मेरी थम रही है,
पास अब कोई नहीं है।
ये जहाँ के ख्वाब सारे,
बस जहाँ में ही सही है।
है मुझे उसकी जरुरत,
जिसे ना अब तक देख पाया,
पर स्वयं के होने में भी,
थी छुपी उसकी ही काया।
हो रहा है अब नहीं दुख,
जाये चाहे प्राण मेरा।
यह नहीं अभिमान मेरा।
14 comments:
सुन्दर अध्यात्मिक स्वरों से ओतप्रोत रचना ,बधाई
परम सत्ता के प्रति पूर्ण समर्पण भाव की पवित्र रचना.....
सम्पूर्ण समर्पण भाव लिए अच्छी प्रस्तुति
ह्रदय में प्राण श्वासों सा,हर क्षण है तेरा बसेरा।
यह नहीं अभिमान मेरा।
....bahut hi sundar bhaw, nishchhal
है मुझे उसकी जरुरत,जिसे ना अब तक देख पाया,पर स्वयं के होने में भी,थी छुपी उसकी ही काया।
sundar bhavatmak abhivyakti.badhai.
उन्नत विचार ,संपूर्ण जगत कोराह दिखाने वाला ..
कोई तो साधे हुये है, मनों का वह भार सारा।
sampoornbhaqt bhav ki sunder rachna
विनम्रता के बिना भक्ति संभव नहीं है और कविता में दोनों ही नजर आ रही है !
समर्पण भाव से ओतप्रोत रचना ...बहुत सुन्दर
very nice post kabhi samay nikal kar yaha bhi aaye
chhotawriters.blogspot.com
बहुत बढ़िया .
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कल 06/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सम्पूर्ण समर्पण भाव से ओतप्रोत रचना .
यह मिलन खुद मंत्र भी है,
और खुद ही जाप भी
दौडता हूं मैं कभी ना,
पर समय पर पहुँच जाता,
खोकर अपना सर्वस्व हरदम,
सम्पूर्ण तुमको पा ही जाता।
बहुत सुंदर रचना
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