करो तुम खुद पे भरोसा इतना,
कभी भी झुकाना पड़े ना सर अपना,
हिम्मत को कभी ना खोना,
हतोत्साहित जरा भी ना होना।
हर मुश्किल जो राहों में है,
हर डगर पर तेरी जाँच है,
इक सफल परीक्षार्थी के लिए,
परिश्रम ही तो सफलता का सव्यसाँच है।
जगाओ दिल में विश्वास इतना,
जागती आँखों से भी देख सको सपना।
करो तुम खुद पे भरोसा इतना,
कभी भी झुकाना पड़े ना सर अपना।
आत्मविश्वास का शीला इतना बढ़ जाये,
हर रुकावट राहों का तेरे सामने झुक जाये।
तूफान भी तुम्हें ना अब डिगा सके,
सोई बदकिस्मती को कोई ना जगा सके।
बढ़ता ही जा तू बस इसी एक चाह में,
है दूर मँजिल तो क्या हुआ?
मै तो हूँ शामिल मँजिल की राह में।
जब डगर का हर इक शूल सुख देने लगे,
समझ लेना मँजिल अब निकट है,
किस्मत खुद राहों को मँजिल का मोड़ देने लगे।
दिखा दो लक्ष्य के लिए जुनून इतना,
असफलता ना पड़े कभी राहों में चखना।
करो तुम खुद पे भरोसा इतना,
कभी भी झुकाना पड़े ना सर अपना।
बार बार गिर कर भी मकड़ी,
मँजिल की चाहत ना खोई थी,
इस तथ्य को ही जान कर,
गौरी ने पृथ्वी राज पर जीत बोई थी।
अगर वह थक कर हार जाता हतोत्साह में,
तो कहाँ मिल पाती जीत उसे जहाँ में।
इन बातों को ही दिल में रख जज्बा रखो,
अपने विश्वास को हर वक्त जवाँ रखो।
बता दो दुनिया को है जीतना,
अधूरा ना रहे जीवन का कोई सपना।
करो तुम खुद पे भरोसा इतना,
कभी भी झुकाना पड़े ना सर अपना।
हर रोज सूरज उगता है,
शाम को फिर डूबता है,
कहाँ वो कभी थकता है।
कभी जो बादल छा जाते है,
कुछ पल में सब चीर निकलता है।
सूरज से सीखो जीवन में,
कैसे गर्मी,बरसात झेलते है,
समय के साथ जीवन में,
कैसे डूब कर फिर से उभरते है।
तुम भी बन जाओ सूरज जैसे,
चमको फलक पे हरदम ऐसे।
करो तुम खुद पे भरोसा इतना,
कभी भी झुकाना पड़े ना सर अपना।
तेरा काफिला गुजरे जहाँ से,
उत्साह,उमंग का सागर बहे वहाँ से।
युवापीढ़ि इसमें गोता लगा के,
चले हरदम सफलता की डगर पे।
पर्वत को भी पार कर सके,
सागर भी बना दे राह,
विश्वास ऐसा हो दिल में,
कि पत्थर पर भी फूल खिला।
करो तुम कुछ ऐसा जतन,
कि पूरी दुनिया करे तुमको नमन।
करो तुम खुद पे भरोसा इतना,
कभी भी झुकाना पड़े ना सर अपना।
18 comments:
जब अपने ऊपर इतना भरोसा आ जायेगा तभी भारत सर्वोपरि हो जायेगा।
बिलकुल सही कहा आपने खुद पर इतना भरोसा हो जायेगा तो कुछ भी मुस्किल न होगा...
बधाई ||
सीख देती ओजपूर्ण रचना ||
सुन्दर आकांक्षा से परिपूर्ण सुन्दर रचना....
बिलकुल सही कहा आपने खुद पर इतना भरोसा हो जायेगा तो कुछ भी मुस्किल न होगा...
बधाई ||
बिलकुल सही कहा आपने खुद पर इतना भरोसा हो जायेगा तो कुछ भी मुस्किल न होगा...
बधाई ||
आपका आह्वान पुष्पित-पल्लवित हो....
खुद पर भरोसा ही इंसान की सही पहचान हैं
पंख होने से क्या होता है,हौसलो में उड़ान होती है
जीत उसकी होती है,जिसके सपनों में जान होती है....बिलकुल सही कहा आपने खुद पर इतना भरोसा हो जायेगा तो कुछ भी मुस्किल न होगा...सुन्दर..
वाह ! आप जैसे जोश भरे चंद युवा देश के लिये बहुत कुछ कर सकते हैं! बहुत सुंदर कविता!
सुन्दर... विश्वास से भरी ओजपूर्ण रचना... हार्दिक शुभकामनायें....
अब निकट है,किस्मत खुद राहों को मँजिल का मोड़ देने लगे।
दिखा दो लक्ष्य के लिए जुनून इतना,असफलता ना पड़े कभी राहों में चखना।
bahut prernadayak likh rahe hain satyam ji aajkal.ek ek shabd man ko prafullit kar deta hai.aabhar.
behtareen. kal ki charcha manch ki shobha.
करो खद पे भरोषा इतना ........../ आत्म -विश्वास से लबरेज काव्य के माध्यम से पथ- प्रयाण करे, दायित्व वरन करे ....
सुन्दर प्रयास ... बधाई /
बहुत ही प्रेरणादायी ..आशाओं के सतरंगी इन्द्रधनुष खिलाती अति सुन्दर रचना...हार्दिक अभिनन्दन !!!!
करो तुम खुद पे भरोसा इतना,कभी भी झुकाना पड़े ना सर अपना,हिम्मत को कभी ना खोना,हतोत्साहित जरा भी ना होना। हर मुश्किल जो राहों में है,हर डगर पर तेरी जाँच है,इक सफल परीक्षार्थी के लिए,परिश्रम ही तो सफलता का सव्यसाँच है।
..........बिलकुल सही कहा आपने
sundar bhvapurn abhivyakti,
badhai swikare
bahv pooran aur prarnadayak rachna...
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