कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।
तुम्हारे पास होकर भी,
मै तुमको छू न पाया था।
मेरा दिल चाहता था खुद में यूँ भर लूँ मै तुमको आज,
मगर अफसोस मैने हर पल तुमको गवाँया था।
नशा वह रात में था,
या तुम्हारी बात में था,
जो मुझको खींच कर बेसुध बना,
तेरे पास लाया था।
कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।
तुम्हारे पास होकर भी मै तुमको छू न पाया था।
बहुत अरमान थे जिनको था पाला,
लम्बे अरसे से,
वही कुछ बोल मेरी आँखों से,
उस रात बरसे थे।
कभी सोचूँ जो तुमको पाने का,
यह ख्वाब है या सच।
नहीं थी तुम कही भी,
बस अंधेरे में मेरा ही साया था।
कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।
तुम्हारे पास होकर भी मै तुमको छू न पाया था।
अभी तो रात की सारी कहानी,
पूरी बाकी है।
फलक पर चाँद भी शायद,
अभी अभी ही आया है।
मोहब्बत की कहानी चाँद की थोड़ी पुरानी है,
यही सोचकर मैने नया किस्सा बनाया है।
अधूरा है तेरे बिन,
मेरा होना या ना होना।
तुम्हारे ना होने के एहसास ने,
फिर क्यों मुझको रुलाया था।
कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।
तुम्हारे पास होकर भी मै तुमको छू न पाया था।
कहूँगा तो हँस दोगी,
कहोगी झूठे हो।
मगर हर रात यूँ ही जाग कर,
मै भोर करता था।
तुम्हारी यादों से लड़ कर जो,
मेरी हालत होती थी,
तन जिंदा होता था,
बेचारा मन बस मरता था।
सुनोगी तुम नहीं जिस गीत को,
मै जानता था पर।
वही इक गीत मैने हर रात,
क्यों तुमको सुनाया था।
कसक है आज भी दिल में दबी,
उस रात की कोई।
तुम्हारे पास होकर भी मै तुमको छू न पाया था।
32 comments:
अच्छी कविता , अंतर भावों को बेबाकी से व्यक्त किया है बधाई
dil ki gahraaiyon se nikle hue jajbaaton ko kya khoob kenvaas par utara hai.bahut khoob.badhaai.mere blog par bhi aapka swagat hai.
यही कसक भावों को गहराती है।
अति सुन्दर |
बधाई ||
यही कसक भावों को गहराती है।
aur ghavon ko sahlaati hai ||
कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......
bahut sunder ||
बहुत संवेदन शील भावों को अभिव्यक्त किया है आपने और वह भी बहुत खूबसूरती से.बधाई सत्यम जी.
फलक पर चाँद भी शायद,अभी अभी ही आया है।
मोहब्बत की कहानी चाँद की थोड़ी पुरानी है,यही सोचकर मैने नया किस्सा बनाया है।
आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
बहुत ही सुंदर कविता भाई सत्यम जी बहुत बहुत बधाई |
कसक को बहुत खूबसूरती से उकेरा है ..अच्छी रचना
संवेदन शील भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...
waah bahut khoob..kasak abhi baaki hai..
बेबाक व सुंदर रचना,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
कसक की सुन्दर अभिव्यक्ति...बधाई
अति सुन्दर |
बधाई ||
सुंदर अभिव्यक्ति..!!
बेहतरीन शब्द रचना ।
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना ......
engineer sahab.....bahut hi behtareen rachna aur behtareen blog....saath hi kahna chaahunga....aap kavi kahlaaane ke hakdaar h.....
now im a follower...:)
regards
naveen kumar solanki
http://naveensolanki.blogspot.com/
http://drnaveenkumarsolanki.blogspot.com/
खूबसूरत कविता...कोमलता से लिखी गई है... पहली बार आपके ब्लॉग पर आया....बहुत कन्फ्यूज़न है कि आपका अपना प्रमुख ब्लॉग कौन सा है...
thnks to all:)
Wah kya bebaaki hai. Itna khubsoorat prastutikaran koi abhiyanta hi kar sakta hai.
Sundar kavita ke liye badhai.
satyam ji
man ke andar chalti vedna ko aapne bahut hi behtreen shabdo me dhala hai.
bahut hibehatreen rachna
bahut bahut badhai
poonam
komal ahsason ka khoobsurat chitran......
bhavnaon se paripurn mukt chhand shaiyee ki ak sunder kavita! swagatyogy hai. NIRALA JEE ke JOOHEE KI KALEE kavita ki yad tata ho gai. nirbadh bhav se man ko vyakt karte rahenge to kavita achhee hee hogee. sadhuvad! laxmikant Tripathi.
बहुत सुन्दर ... और उस दूरी की कसक में एक सुन्दर कविता अ सृजन हो गया ...उम्दा ..
मुझे ये बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है की हिंदी ब्लॉगर वीकली{१} की पहली चर्चा की आज शुरुवात हिंदी ब्लॉगर फोरम international के मंच पर हो गई है/ आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार को इस मंच पर की गई है /इस मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/इस मंच का लिंक नीचे लगाया है /आभार /
www.hbfint.blogspot.com
a lot of thnks to all of u:)
behtreen rachna...
दिल के खुबसूरत एहसासों को बतलाती रचना....
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