माँ मुझे तू आज बता दे,
मै साँवला क्यों हूँ?
काले मेघ सा है रंग निखर,
हूँ कृष्ण सा ही मै मनहर,
नैनों की शोभा काजल सा,
मै बावला क्यों हूँ?
माँ मुझे तू आज बता दे,
मै साँवला क्यों हूँ?
पनघट पे मै भी जाता हूँ,
पर कृष्ण सा हर्ष ना पाता हूँ,
अपनी ये रंगत धो लूँगा,
नदियों में मै नहाता हूँ।
सारी ग्वालिने चिढ़ाती है,
गोपियाँ आईना दिखाती है,
सारे लोग मुझसे पूछते है,
मै साँवला क्यों हूँ?
माँ मुझे तू आज बता दे,
मै साँवला क्यों हूँ?
साँवला होना क्यों बुरा है,
ये बात समझ नहीं आती है,
ये साँवला सा रंग मेरा,
मुझे रंगभेद सिखाती है।
राम,कृष्ण भी तो साँवले थे,
पर सब को वो तो प्यारे थे,
फिर मुझको क्यों सब कहते,
मै साँवला क्यों हूँ?
माँ मुझे तू आज बता दे,
मै साँवला क्यों हूँ?
बगिया में अब ना जाऊँगा,
ना ही बंशी बजाऊँगा,
अपने आँचल में छुपा ले मुझे,
वरना मै जी ना पाऊँगा।
जमाने के लिए मै साँवला हूँ,
पर तेरा सलोना लाडला हूँ,
फिर मुझसे सब क्यों पूछते है,
मै साँवला क्यों हूँ?
माँ मुझे तू आज बता दे,
मै साँवला क्यों हूँ?
20 comments:
bahut khooob kaha.
iska to radha ji ke shabdon me yahi hai ki ''jag se nirala''sahi hai na isliye is par kya dukh manana.sundar prastuti .badhai satyam ji.
माँ मुझे बता दे तू
मैं सांवला क्यूँ हूँ!
... बाल मन की कोमल भाव को बहुत खूबसूरती से उकेरा है आपने!
मेरी बेटी गोरी है लेकिन बेटा सांवला है उसको भी जब बहुत लोग यूँ ही उसके काले होने का अहसास दिलाते है.. कोई कहेगा फिअर एंड लविली तो कोई पावडर मलकर गोरा दिखने के लिए कहता है तो उसे बहुत बुरा लगता है ...मैं भी लोगों को टोकती हूँ की आप भले ही मजाक करते हूँ लेकिन बच्चे के मन में अगर यह बात पैठ गयी तो फिर क्या होगा... आपकी यह रचना पढ़कर लगा जैसे यह सवाल वह खुद मुझसे कर रहा है...आभार!
राधा गोरी न होती तो संभवतः न खलता।
Bahut,bahut pyaaree rachana hai!
Bahut,bahut pyaaree rachana hai!
bahut hi sunder............
बहुत ही प्यारी रचना . प्रभु का स्मरण होता है.
pyari c kavita ..pyare se bhav liye...
superbbbbbbbbbbbbbb
लाडला तू मेरा जग से निराला ... इसीलिए काला
सांवला है तो क्या हुआ माँ का सलोना, लाडला तो है...
कोमल भाव, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
श्याम वर्ण तो सृष्टि का एकमात्र सत्य है तभी तो सभी प्रेम मग्न होकर दौड़ पड़ते है श्याम और काली की ओर और जगत के परम माता पिता ने अपने नाम का प्रथम अक्षर "श"यानि शिव,"श"यानि शक्ति से जग में प्रसिद्ध हुए।हमारे साई भी "स" से साक्षात श्याम है।सुन्दर रचना,आशिर्वाद।
बच्चे के मन कि जिज्ञासा को बहुत खूबसूरत शब्द दिए हैं ...अच्छी प्रस्तुति
बाल सुलभ भावों को कितनी सुन्दरता से बयां किया आपने....
वाह ...बहुत ही बढि़या ...।
महा-स्वयंवर रचनाओं का, सजा है चर्चा-मंच |
नेह-निमंत्रण प्रियवर आओ, कर लेखों को टंच ||
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत ही शानदार अभिब्यक्ति प्रस्तुत की है आपने।
बहुत ही सरल शब्दों में अपनी बात कहती प्रस्तुति.
bahut khooob kaha aapne
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