Saturday, September 3, 2011

भरे है नीर से लोचन

भरे है नीर से लोचन,
कोई तो हो इन्हें पोंछे।
बिना भावों के बोझिल मन,
करे अब क्या,किसे सोचे?

वही है दूर से आना,
कही फिर दूर तक जाना,
जुड़े जो डोर तुमसे ना,
उसे फिर कोई क्यों खींचे?

भरे है नीर से लोचन,
कोई तो हो इन्हें पोंछे।

कोई सागर समाया है,
मेरे मन में उठा तूफान,
विरह के रेत के बिना,
सूना है ह्रदय का रेगिस्तान।

उड़ा कर ले गयी हवा,
जिन गुजरे लम्हों के निशा,
दौड़ा-दौड़ा अब थक गया मै,
चलते-चलते उनके पीछे।

भरे है नीर से लोचन,
कोई तो हो इन्हें पोंछे।

ख्यालों में सजाता हूँ,
परस्पर नेह की इमारत,
मिले बिछुड़ा हुआ कोई,
यही करता हूँ इबादत।

मगर जब टूट कर सारे,
बिखर जाते है मेरे ख्वाब,
जाग जाता हूँ तब ही मै,
चुपचाप आँखों को मींचे।

भरे है नीर से लोचन,
कोई तो हो इन्हें पोंछे।

13 comments:

Anupama Tripathi said...

bahut marmsparshi ...sunder kavya kalpana ...badhai.

vandana gupta said...

दिल को छूने वाली बहुत ही सुन्दर रचना।

प्रवीण पाण्डेय said...

भावभीनी प्रस्तुति।

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

पता नहीं क्यों एक शेर याद आ गया-
'रोने वाले तुझे रोने का सलीका भी नहीं,
अश्क़ पीने के लिए है कि बहाने के लिए!'
बहुत सुन्दर...!!!

Anita said...

प्रेम की नियति है आंसुओं से भीगना... विरह के ताप में जलना...तभी प्रेम अपनी उडान भरता है...सुंदर भावपूर्ण कविता के लिए बधाई!

Unknown said...

bahut sundar rachna...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

Maheshwari kaneri said...

भावपूर्ण दिल को छूने वाली बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.....

Roshi said...

dil ko gehraye tak touch kar gayi.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत भावुक रचना ..

Shalini kaushik said...

बहुत ही भावनात्मक कविता सत्यम जी
श्रमजीवी महिलाओं को लेकर कानूनी जागरूकता
रहे सब्ज़ाजार,महरे आलमताब भारत वर्ष हमारा

सु-मन (Suman Kapoor) said...

neer ki tarah bahti rachna...

babanpandey said...

विपत्ति का साथी भगवान् स्वरुप है