साहसी है कौन वह जो,
लक्ष्य पर बढ़ता ही जाये।
जीत का इक गीत बुनकर,
कदमों में दुनिया झुकाये।
जिसकी धमनियों में बहता हो,
अटल का रक्त घुलकर,
श्वास भी चलती हो ऐसे,
जैसे चल रहा हो नभ दल।
तेज से जगमग जलाता,
रौशनी सा वह सफर में,
धैर्य से कर मित्रता,
निभाता हर पल नव डगर में।
हौसला इतना बड़ा कि,
आसमां के पार हो ले,
हाथ पे लकीर खींचे,
खुद किस्मत का ताला खोले।
झुकते जिसके सामने,
पर्वत और अम्बर के सितारे,
देख कर प्रकाश जिसका,
सूर्य का भी तेज हारे।
पर नहीं अभिमान थोड़ा,
बढ़ गया जो लक्ष्य तेरा,
मँजिल तक पहुँचे बिना,
अब तो ना इक पल थकान आये।
साहसी है कौन वह जो,
लक्ष्य पर बढ़ता ही जाये।
19 comments:
aage badhne ko protsahit karti rachna...
वीर हो, जयी बनो, बढ़े चलो, बढ़े चलो।
प्रेरित और उत्साहित करती हुई ओज से भरी हुई रचना .....
आपकी हर कविता पढ़ते ही बनती है ............बहुत सुन्दर लिखा है आपने
हर पंक्ति लाजवाब---और गहन अनुभूतियों को प्रतिबिम्बित करने वाली।
प्रेरक!
साहसी है कौन वह जो, लक्ष्य पर बढ़ता ही जाये। जीत का इक गीत बुनकर, कदमों में दुनिया झुकाये।
ओजपूर्ण कविता.....
बिलकुल सही कहा आपने लक्ष्य निर्धारित करके उस पर कितनी ही मुश्किलें आयें पर साहस के साथ बढ़कर अपने लक्ष्य को पा लेने वाला ही सबसे बढ़ा साहसी कहलाता है /बहुत ही शिक्षाप्रद और शानदार रचना /बहुत बधाई आपको /
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बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित पोस्ट....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सार्थक अभिवयक्ति....
बहुत ही सुंदर ! जोश दिलाती ओजस्वी कविता !
bahut hee khoobsurat.....
सार्थक और प्रेरक रचना |
मेरी नई रचना देखें-
**मेरी कविता:राष्ट्रभाषा हिंदी**
बेहतरीन रचना ....
satyam ji
bahut hi oj purn v prabhav shali dhang se prastut aapki yah post waqai me kuchh kar gujarne ki khwahish paida karne wali hai.
bahut hi prerak post------
badhai------- poonam
जीत उसकी होती है,जिसके सपनों में जान होती है
पंख होने से क्या होता है,हौसलो में उड़ान होती है...
विजयी बनो..आगे बढते चलो..चलते चलो..शुअकामनाओ सहित....
Ek Jeewant Kavita.....
Ek Jeevant Kavita......!!
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