Thursday, September 15, 2011

इंजीनियर्स की परेशानी (प्रेम डगर)


आज से एक वर्ष पहले मैने "इंजीनियर्स डे" के मौके पर ही लिखा था अपना एक लोकप्रिय काव्य "इंजीनियर्स की परेशानी"....जिसमें बताया गया था इंजीनियर्स की लाइफ में आने वाली परेशानीयों के बारे में...जो इक इंजीनियर कवि बखूबी समझ सकता है....और आज आप सब के समक्ष मै लेकर आया हूँ "इंजीनियर्स की परेशानी (प्रेम डगर)"..जो बताता है कि प्रेम मार्ग में चलते हुये एक इंजीनियर के साथ क्या क्या परेशानीयां आती है और कैसी भावनाओं से रुबरु होता है वो.....

पहला भाग यहाँ पढ़े....

इंजीनियर्स की परेशानी (प्रेम डगर)
होती थी बरखा,बहार कभी,
पतझड़ की सी सुखार कभी,
मन ही मन की वो बेचैनी,
कहलाती थी जब प्यार कभी।
तब आँखों में आँसू की जगह,
सैलाब उमड़ता था,
मै डूबता था कभी कही,
और कभी उभरता था.............।

नये प्यार सा नया सेमेस्टर,
लूज़ करता रहा मेरा कैरेक्टर,

बी.ई. फिल्म की चार रील की मूवी में,
बन गया मै अब सपोर्टिंग एक्टर।

तब मैने जाना कि,
ये प्यार तो है बस मेरी नादानी।

कहता हूँ मै एक ऐसी कहानी,
इंजीनियर्स की परेशानी,
एक इंजीनियर की जुबानी।

कई बार हुआ था प्यार मुझे,
कुछ बार किया इकरार मगर,
दो कदम चला तब ये जाना,
मुश्किल है बड़ी ये प्रेम डगर।
कभी सोचा बंद लिफाफों में दिल की बातें कह डालूँगा,
मन ही मन में फिर आज तुम्हें कैसे भी मै तो पा लूँगा।

पर याद नहीं वो सावन मुझको,
जो अंदर तक कही भिगो गया,
दिल की बातें दिल में रह गयी,
कर ना पाया मै उसे बयां।

कुछ रात यूँही नींद बिन गुजरी,
कुछ रात अजब हलचल सी थी,
कुछ रात तुम्हारी यादों में,
सौ बरस के जैसी दो पल भी थी।

मै जाग गया जो भोर हुआ,
रात का सपना पल में टूटा,
इक रात प्यार का खेल,खेल,
समझा ये प्यार है बड़ा झूठा।
यूँ व्यर्थ नहीं अब करनी है,
मस्ती से भरी अपनी जवानी,
ये प्यार,मोहब्बत बेमतलब,
बस है इससे हमको तो हानि।

कहता हूँ मै एक ऐसी कहानी,
इंजीनियर्स की परेशानी,
एक इंजीनियर की जुबानी।

"HAPPY ENGINEER'S DAY TO ALL OF U"

16 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कोमल भावनाओं का सशक्त चित्रण।

S.N SHUKLA said...

bahut sundar rachna, sundar bhav,aabhar
मेरी १०० वीं पोस्ट , पर आप सादर आमंत्रित हैं

**************

ब्लॉग पर यह मेरी १००वीं प्रविष्टि है / अच्छा या बुरा , पहला शतक ! आपकी टिप्पणियों ने मेरा लगातार मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया है /अपनी अब तक की " काव्य यात्रा " पर आपसे बेबाक प्रतिक्रिया की अपेक्षा करता हूँ / यदि मेरे प्रयास में कोई त्रुटियाँ हैं,तो उनसे भी अवश्य अवगत कराएं , आपका हर फैसला शिरोधार्य होगा . साभार - एस . एन . शुक्ल

Maheshwari kaneri said...

सुन्दर भावनावो से ओत-प्रोत सशक्त अभिव्यक्ति...शुभकामना.....

रेखा said...

खुबसूरत अभिव्यक्ति ..

Unknown said...

कोमल भाव लिए सशक्त रचना |

मेरी नई रचना देखें-

**मेरी कविता:हिंदी हिन्दुस्तान है**

Anita said...

हम तो सोचते थे कि इंजीनियर के पास इतना वक्त कहाँ होता है कि प्रेम के चक्कर में गवांए... बहुत सुंदर कविता !

vidhya said...

खुबसूरत अभिव्यक्ति ..

संध्या शर्मा said...

Happy engineers day...
बहुत सुन्दर रचना...

Nisha Mittal said...

बहुत सुन्दर रचना परिवारिक जीवन पर ग्रहण लगाती ये अति व्यस्तता .शुभकामनाएं व बधाई इंजीनियर्स दिवस की

रविकर said...

शुक्रवार-http://charchamanch.blogspot.com/

Patali-The-Village said...

कोमल भावनाओं का सशक्त चित्रण।

palash said...

very beautiful story .
i know only a thing that the perosn who loves to take the challenges and try to find solution in all the three caes best worst and average are called as "engineers"......

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

जय हिन्दी! जय नागरी!!
हिन्दी पखवाड़ा धन्य हो गया!

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन शब्द संचयन, सारगर्भित कविता बधाई

Manav Mehta 'मन' said...

khubsurat hai ji...:))

Dr. SHASHI.... ( Ek Kasak ) said...

bahot hi sundar abhivyakti....badhai