हे देव! तुम्हारी बाँसुरी में आखिर कैसा जादू है,
मै हरदम सोई रहती हूँ,नशे में खोई रहती हूँ।
जब भी तुम मेरे मन के उपवन में हौले से आते हो,
और अपनी नटखट अदाओं से मुझे दिवाना बनाते हो।
ऐसा लगता है कि मै कोई नहीं हूँ,
मै तो उस यमुना का वो किनारा हूँ,
जहाँ तुम अक्सर बैठकर बाँसुरी बजाते हो।
कई बार पूछना चाही तुमसे,
कई बार देखना चाही तुमको,
पर हर बार मेरी योजनायें विफल हो गयी तुम्हारे सामने।
शायद मै समझ ना सकी,
खुद को बिना दर्पण कैसे देख पाउँगी मै।
जमाना भले ही तुम्हें भगवान कहता हो,
पर मै जानती हूँ तुम वही माखनचोर हो ना,
जो गोकुल में हर ग्वाले के यहाँ से,
माखन चुरा चुरा के खाते हो।
लोग मानते हो तुम्हें महाभारत के समर का,
एकमात्र नायक....
क्योंकि सबकुछ तुम्हारी ही माया का स्वरुप था।
पर मै जानती हूँ तुम वही रणछोड़ हो,
जो युद्ध से भागता भागता छुप जाता है।
मै जानती हूँ देव! तुम मेरे नहीं हो,
तुम तो उस राधा के हो ना,
जिसके साथ तुम अक्सर रास लीला किया करते थे।
जब तुम उस मीरा के नहीं हो सकते,
जो तुम्हारी खातिर विष भी पी लेती है,
तो भला मेरे कैसे हो सकते हो।
मै तो हरदम बस तुम्हारी मायानगरी में व्यस्त रहती हूँ,
पर हे मायावी! मै जानती हूँ कि,
बस तुम ही हो यहाँ और तुम ही हो वहाँ,
जो मुझे जानते हो.......
कि मै अब भी तुमको कितना चाहती हूँ।
हे देव! तुम मेरी आँखों में झाँकना चाहते हो ना,
तो देखो मेरी आँखों में यमुना समायी है।
तुम ही कहो ना कैसे मिलाऊँ नजर,
इस यमुना में तो आज बाढ़ आयी है।
मै जानती हूँ तुम बाल कौतुहल करते करते,
यमुना में भी चले आते हो,
कभी आओ ना मेरी इस यमुना में मेरे माधव!
कोई नहीं है इस यमुना के किनारे बंशी बजाने वाला,
हे बंशीधर! समा जाओ ना मेरी नजरों में,
कि हर ओर बस तुम ही दिखो,बस तुम ही.............।
14 comments:
आह! मेरे मन की बात कह दी सत्यम्…………अद्भुत भाव्।
bahut sundar bhav...
behad sundar adhyatmik pravaah hai rachna me badhai satyam ji
यमुना नित ही श्याम के आने की प्रतीक्षा करती है।
satyam ji adbhut bhav ...........bahut sunder
Wah! Kya baat hai....bahut,bahut sundar!
बहुत ही सुन्दर मन के भावो का वर्णन किया है आपने......
बहुत सुन्दर मनभावन रचना...
बहुत सुन्दर सत्यम...
मीठी सी प्रेमपगी रचना..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
बहुत सुन्दर भक्तिमयी प्रस्तुति..
वाह ! सत्यम्
इस कविता का तो जवाब नहीं !
satym ji .....adhatm ke marm ko chhoti hui rachana behad sundar hai ....badhai.
कृष्ण के इस विराट रूप पे जितना भी कहा जाय कम है ... लाजवाब लिखा है आपने ...
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