चाँदनी है रात,फिर से तुम्हें पुकारती,
सूने मन आँगन का सूनापन,
फिर राह तेरी निहारती।
गुजरे हो मानों सुनहरे क्षण,
नैनों के अश्रु कण,यादों के मोती बन,
मंजर हो सारे बिल्कुल थमे,
आसमां में बस चाँद पे हो नजरे जमे।
खुशबु फिर वही पुरानी,
बिल्कुल जानी पहचानी,
रँग कर हवाओं के संग में,
बहारों को फिर से सँवारती।
चाँदनी है रात,फिर से तुम्हें पुकारती।
अठखेलियों का सिलसिला,
मुझसे,तुम्हारा शिकवा गिला,
शरमा के फिर छुप जाना,
हँस के तुम्हारा गुस्साना।
खो गया कहा,अब ना मिला,
दिल फिर भी ना कुछ है भूला,
खुद में ही अब गा लेता है,
यादों में तुमको पा लेता है।
गीतों के सहारे ही तुम आकर,
प्यार के हर क्षण को दुलारती।
चाँदनी है रात,फिर से तुम्हें पुकारती।
अकेला रात में सायों से करता,
दिल की जो बातें रह गयी थी अधूरी,
तुम ना आयी अब तक,
ना आओगी अब कभी यहाँ,
सोच कर दिल की हालत हो गयी थी बुरी।
अब प्राण से ना लगाव रहा,
लुट गया इक पल में प्यार का जहाँ,
प्रियतमा क्या तुम भी कही से,
कभी कभी मुझको पुकारती।
चाँदनी है रात,फिर से तुम्हें पुकारती।
स्पर्श का स्मरण ही तुम्हारा,
जीवन का सबसे है प्यारा,
कही हुई तेरी हर बात,
मन के सूने नभ का है सितारा।
इक चाँद के बिन चाँदनी,
सा हाल दिल का हो गया,
क्यों आज की रात चाँद को देख,
आँख मेरा फिर रो गया।
ऐसा लगा कि अब भी कही तुम,
दो बूँद आँसू के बहाती।
चाँदनी है रात,फिर से तुम्हें पुकारती।
17 comments:
भाव विभोर कर दिया आपने
प्रेम की सार्थक अभिव्यक्ति।
सुन्दर कविता.
बहुत सुन्दर कविता.
प्रेमाव्यक्ति की एक भव्य कविता, इन्जीनिअर साहब रूखे विषय के आगोश में सुन्दर भावांकन के लिए बढ़ायी अवं प्रगति की शुभकामनायें
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (7-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुन्दर | आपकी हर पोस्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा |
आप मेरे ब्लॉग पे भी आइये आपको अपने पसंद की कुछ रचनाये मिलेंगी
दिनेश पारीक
http://vangaydinesh.blogspot.com/
Bahut sundar...khaas kar 4th stanza!
खूबसूरती से लिखे हैं एहसास ....आँख रो गया ...कुछ उचित नहीं लग रहा ...आँख शब्द स्त्रीलिंग है ..
बहुत सुंदर
bahut se ahsaason ko bayaan kiya hai ..bahut badhiya
खूबसूरत एहसासों से सजी सुन्दर प्रेम कविता !
इक चांद बिन चांदनी सा
हाल दिल का हो गया....
भावपूर्ण... बहुत सुन्दर कविता....
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
प्रेम को गहराई से जान्ने का प्रयास और गहरी अभिव्यक्ति है सत्यम जी ..
manbhaavan abhivyakti.
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।
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