Tuesday, June 28, 2011

आज अपने अंत की दहलीज पर....

आज अपने अंत की दहलीज पर,
मै आ खड़ा हूँ।
जी रहा सब जानते है,
मै हूँ जिन्दा मानते है।

पर मै तो इस जिन्दगी में,
जीकर भी कई बार मरा हूँ।

आज अपने अंत की दहलीज पर,
मै आ खड़ा हूँ।

अब नहीं मुझको लुभायेगा तुम्हारा स्नेह निश्छल,
अब नहीं मुझको बुलायेंगे कभी वो भूत के पल।

अब तो मेरे साथ होगा,
एक ऐसा निडर मन,
जो देगा स्वरुप को मेरे,
एक अद्भूत,अदृश्य तन।

मर कर भी मौत से मै,
जाने कितनी बार लड़ा हूँ।

आज अपने अंत की दहलीज पर,
मै आ खड़ा हूँ।

है यहाँ वियोगीयों की फौज सारी,
युद्ध एक घमासान है यहाँ भी जारी।

लोग अब भी जलते है एक दूसरे से,
मौत की ये दुनिया है बड़ी ही न्यारी।

दुष्ट दाँतों में अकेला जीभ सा मै,
असहाय होकर बिल्कुल अकेला सा पड़ा हूँ।

आज अपने अंत की दहलीज पर,
मै आ खड़ा हूँ।

14 comments:

Shalini kaushik said...

मर कर भी मौत से मै,
जाने कितनी बार लड़ा हूँ।

आज अपने अंत की दहलीज पर,
मै आ खड़ा हूँ।
bahut paripakv sundar bhavabhivyakti.badhai satyam ji.

प्रवीण पाण्डेय said...

अंत का सोचकर ही जीवन जीना प्रारम्भ करें, वही सुखद।

prerna argal said...

लोग अब भी जलते है एक दूसरे से,मौत की ये दुनिया है बड़ी ही न्यारी।
दुष्ट दाँतों में अकेला जीभ सा मै,असहाय होकर बिल्कुल अकेला सा पड़ा हूँ।,badi anoothi rachanaa.jeevanke rahate moot ki hakikat bayaan karti hui sambedansheel post.badhaai sweekaren.

शिखा कौशिक said...

बहुत प्यारी रचना-वाह!

Dr Varsha Singh said...

कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......

vandana gupta said...

बेहतरीन भावाव्यक्ति।

Anita said...

और ऐसे अंत के बाद ही असली जीवन से सामना होता है... शुभकामनाएँ !

Manish Khedawat said...

पर मै तो इस जिन्दगी में,जीकर भी कई बार मरा हूँ।
मर कर भी मौत से मै,जाने कितनी बार लड़ा हूँ।
bahut khoobsurat panktiya ! badhai !

दिगम्बर नासवा said...

जेवण का अंत जब आता है पता नहीं चलता ...

Unknown said...

सत्यम जी आपकी इस रचना ने अभिभूत कर दिया और आपकी सोच और आयाम को समझने का मेरा प्रयास मुझे सुकून दे रहा है. आपकी कविता उठान की राह पर है बधाई

Dr (Miss) Sharad Singh said...

मर कर भी मौत से मै,जाने कितनी बार लड़ा हूँ।
आज अपने अंत की दहलीज पर,मै आ खड़ा हूँ।

जीवन संघर्ष को बड़ी बारीकी से व्याख्यायित किया है आपने अपनी इस कविता में....

वीना श्रीवास्तव said...

मर कर भी मौत से मै,
जाने कितनी बार लड़ा हूँ।

क्या बात कही है...

Udan Tashtari said...

बहुत भावपूर्ण...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

गहन अभिव्यक्ति....विचारणीय भाव....