किससे कहता मै उर की पीड़ा,
जो ठेस लगाया तुमने!
इक क्षण में सब प्यार भूलाकर,
स्वर्ग से धरती पर लाकर,
जैसे तुमने यूँ कह दिया,
मेरे प्यार को हर बार पाकर!
बस मौन रहा मै,क्या कह पाता,
दिल को जो दुखाये अपने!
किससे कहता मै उर की पीड़ा,
जो ठेस लगाया तुमने!
जगा इक दर्द निराला बड़ा,
दर्द में भी प्यार मुस्कुराया,
बस प्यार है वो चीज,
जो गम में भी हँसना सीखाया!
कहने को बढ़े कुछ तुमसे,
क्यों दिल को दुखाया तुमने?
किससे कहता मै उर की पीड़ा,
जो ठेस लगाया तुमने!
मिलन तुमसे है मेरा हर बार अधूरा,
दिल में थी ऐसी उलझने,
इतने रह के हम पास तुम्हारे,
क्यों दो अंजान,अजनबी बने!
होंठो की बाते,दिल की सौगाते,
जो हर बार चाही थी तुमको कहनी,
सुनो आज है रुठ कर,
तुमसे है बहुत कुछ कह दी उनने!
किससे कहता मै उर की पीड़ा,
जो ठेस लगाया तुमने!
15 comments:
ठेस हृदय में रह जाती है,
कहते कहते कह जाती है।
होंठो की बाते,दिल की सौगाते,
जो हर बार चाही थी तुमको कहनी,
सुनो आज है रुठ कर,
तुमसे है बहुत कुछ कह दी उनने!
bahut sundar abhivyakti.badhai.
सच में मन की पीड़ा हर कहीं नहीं बांटी जा सकती.....
बस मौन रहा मै,
क्या कह पाता,
आंतरिक पीड़ा की सहज अभिव्यक्ति...
satym ji
bahut hi ulahnao se bhari hai aapki kavita.
sach bhi hai jab dil me kahin gahre chot lagti hai to vah kisi se kahe bhi nahi banta aur dil hi dil mekchot si uthti rahti hai
bahut hi nichhal bhvonao ki sundar abhivyakti -------------
badhai--------poonam
मन की पीड़ा को शब्दों में ढाला है ..
किससे कहता मै उर की पीड़ा,
जो ठेस लगाया तुमने!
शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी इस मार्मिक रचना में आपका निराला अंदाज झलक रहा है।
kisase kahen kisase kahen..mann ki tadap kisase kahen....
man ki peeda kisi se nahi kahi ja sakti..... bahut sundar
जो बिना कहे ही समझ ली जाये बात तो वही असर करती है...
बस मौन रहा मै,
क्या कह पाता,
वाह,क्या बात है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
bahut khoob satyam ji...
मिलन तुमसे है मेरा हर बार अधूरा,
दिल में थी ऐसी उलझने,
इतने रह के हम पास तुम्हारे ,
क्यों दो अन्जान,अजनबी बने!
अन्तर्मन को भिगो गई ये पंकतिया| बहुत खूब|
बस मौन रहा मैं,क्या कह पाता
दिल को जो दुखाये अपने
और इसका कोई इलाज़ भी नहीं
मौन रहना ही बेहतर है...!!
dil ki jajbat ko bakhubi vyakat kia hai aapne
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