मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा,
अपना प्यार मुझपे,
अब जताना नहीं पड़ेगा।
दूर चला जाऊँगा मै,
सारे रिश्ते तोड़ के,
लाख जतन तुम करती रहना,
टुटे गाँठों को जोड़ के।
अब ना नजर आऊँगा मै,
इन आँखों के पोर से।
मुझसे अब तूमको,
नजरे चुराना नहीं पड़ेगा,
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
सो जाऊँगा कभी मै मौत की गहरी नींद में,
रुह बना मै रोज मिलूँगा,
तूमसे सपनों के हिलोड़ में।
लाख जतन तुम करती रहना,
अपने हाथ पाँव जोड़ के,
कभी भी लौट के ना आऊँगा मै,
इन आँखों को खोल के।
लोरी गा के रात में,
मुझे सुलाना नहीं पड़ेगा,
अब तूमको मुझे जगाना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
जब कभी याद आऊँगा मै,
बदली बन कर फलक पड़ छा जाऊँगा मै।
यादों का सरताज बना मै,
अपना वो गीत फिर गुनगुनाऊँगा,
फिर से अब यूँही तूमको,
मेरा वो गीत गुनगुनाना पड़ेगा।
वीणा के हर तार पे पाँव रख कर,
फिर से अब तूमको,
मेरे लिए आना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
बादल बन के नभ में मै,
बारिश के साथ धरा पर बरसता रहूँगा,
टीप टीप बूँदों सा बना मै,
नदियों सा सागर को तरसता रहूँगा।
लाख जतन तुम करती रहना,
बूँद बूँद को जोड़ के,
बूँद बूँद से सागर बना मै,
अब तो सूख ना पाऊँगा।
मेरे भीगे तन को अब तूमको,
सूखाना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
नये फूल सा हर मौसम में मै,
खिलता और मुरझाता रहूँगा,
तेरे प्यार में गीतकार बना मै,
रोज नये गीत बनाता रहूँगा।
लाख जतन तुम करती रहना,
बाग के फूल को तोड़ के,
अब ना गाऊँगा मै,
इन होंठों के शोर से।
मेरे जुदाई पे अब तूमको,
आँसू बहाना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
इंद्रधनुष के सात रंगों में मै,
रंगीला हो जाऊँगा,
रग रग में अब रंग रंग से,
रंगोली बन जाऊँगा।
लाख जतन तुम करती रहना,
मेरे रग से रंग निचोड़ के,
नहीं मिल पाऊँगा मै,
रंगों के झनझोर से।
मेरे तन पे अब तूमको,
रंग लगाना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
नये देश और नये वेश में,
परदेशी हो जाऊँगा,
आज यहाँ कल जाने कहाँ,
अपना डेरा बसाऊँगा।
लाख जतन तुम करती रहना,
तिनकों से घर जोड़ के,
अब ना रह पाऊँगा मै,
अपनी दुनिया छोड़ के।
मेरे साथ अब तूमको,
घर बसाना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
आँखों का आँसू बन के मै,
तेरी आँखों में ठहर जाऊँगा,
नेत्र जलद में नीर बना मै,
रोज गोते लगाऊँगा।
लाख जतन तुम करती रहना,
रो रो के शाम तक भोर से,
आँखों से बह पाऊँगा न मै,
उस सुरीली दुनिया को छोड़ के।
मेरे लिए अब तूमको,
आँसू बहाना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
रात में मद्धम प्रकाश बना मै,
तेरे काले बालों में समा जाऊँगा,
निशा काल में चाँद बना मै,
रोज तेरे छत पे आऊँगा।
लाख जतन तुम करती रहना,
लौट आऊँ मै इस घनघोर से,
तारों को छोड़ आ पाऊँगा न मै,
उस जादुई नगरी को छोड़ के।
मेरे लिए अब तूमको,
सपने संजोना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
दुनिया में प्यार का दूत बना मै,
हर पल प्यार लुटाऊँगा,
दुष्ट तन में प्यारा सा दिल मै,
प्यार का पाठ पढ़ाऊँगा।
लाख जतन तुम करती रहना,
कि मै गुजरुँगा तेरी ओर से,
तेरी ओर अपना रुख मोड़ पाऊँगा न मै,
टुटे हुए हर बंधन को जोड़ के।
ऐसा नाम कर जाऊँगा मै,
सबके दिलों में नजर आऊँगा मै।
मुझे देख कर अब तूमको,
नजरे चुराना नहीं पड़ेगा,
मेरे लिए अब तूमको,
कही सर झुकाना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,
मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
16 comments:
मुझे देख कर अब तूमको,नजरे चुराना नहीं पड़ेगा,मेरे लिए अब तूमको,कही सर झुकाना नहीं पड़ेगा।
मुझे देख कर अब तूमको,मुस्कुराना नहीं पड़ेगा।
.... tute bikhre mann ke bhaw
हृदय उड़ेलकर रख दिया है इस कविता में।
पूरी कविता में ह्रदय की समूची व्यथा प्रकट करदी है आपने ।
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
ह्रदय की समूची व्यथा.....
दूर जाकर भी कहीं चैन नहीं मिलेगा...
मन की मर्मस्पर्शी सच्चाई ...बहुत सुंदर
एक एक शब्द मानो दिल से निकला है.
मर्मस्पर्शी रचना.
marmik kavita
man ke tadapte bhaavon ko ek sootra me bade laajabaab dhang se piroya hai.achchi bhaav poorn rachna.apne blog par aapko amantrit karti hoon.
गहन पीड़ा को दर्शाती मर्मुक प्रस्तुति
रूठने के भाव का खूबसूरत चित्रण...
मन की मर्मस्पर्शी सच्चाई ...बहुत सुंदर रचना.
वाह ! एक सच्चे आशिक की दिल की से निकली पुकार ! कविता थोड़ी लम्बी जरूर है पर अंत तक नए-नए भाव पिरोती रहती है.
ह्रदय की बात कितने सरल शब्दों में बयान कर दी है |अच्छी अभिव्यक्ति |
बधाई
आशा
बोलचाल की ज़ुबान में संवेदनाओं की सुनामी
---देवेंद्र गौतम
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