जिंदगी की इस सफर में,
फिर नया आगाज कर ले।
दब गयी जो साँस मन में,
एक नया आवाज भर ले।
देख ले दुनिया को,
फिर हम खूबसुरत नया नया सा,
फिर किसी की चाहतों के वास्ते,
जी ले और मर ले।
जिंदगी की इस सफर में,
फिर नया आगाज कर ले।
टुट कर बिखरोगे जो तुम,
क्या मिलेगा टुटने पर,
तुम ही होगे कल के सपने,
टुटते को जोड़ दो गर।
इसलिए हे पथिक! मत थक,
दूर तक तू हँस के चल ले।
जिंदगी की इस सफर में,
फिर नया आगाज कर ले।
कल तू क्या था वो पुरानी बात हो चुकी है,
सर झुकाता था जहाँ तू,
वो सर आज तेरे सामने झुकी है।
वक्त का है खेल सारा,
जिसने है सब कुछ सीखाया,
दौड़ कर तू राह में,
फिर वक्त के पंजों को धड़ ले।
जिंदगी की इस सफर में,
फिर नया आगाज कर ले।
फिर नया आगाज कर ले।
दब गयी जो साँस मन में,
एक नया आवाज भर ले।
देख ले दुनिया को,
फिर हम खूबसुरत नया नया सा,
फिर किसी की चाहतों के वास्ते,
जी ले और मर ले।
जिंदगी की इस सफर में,
फिर नया आगाज कर ले।
टुट कर बिखरोगे जो तुम,
क्या मिलेगा टुटने पर,
तुम ही होगे कल के सपने,
टुटते को जोड़ दो गर।
इसलिए हे पथिक! मत थक,
दूर तक तू हँस के चल ले।
जिंदगी की इस सफर में,
फिर नया आगाज कर ले।
कल तू क्या था वो पुरानी बात हो चुकी है,
सर झुकाता था जहाँ तू,
वो सर आज तेरे सामने झुकी है।
वक्त का है खेल सारा,
जिसने है सब कुछ सीखाया,
दौड़ कर तू राह में,
फिर वक्त के पंजों को धड़ ले।
जिंदगी की इस सफर में,
फिर नया आगाज कर ले।
16 comments:
जिंदगी की इस सफर में,
फिर नया आगाज कर ले।
[Image]दब गयी जो साँस मन में,
एक नया आवाज भर ले।
satyam ji prastut kavita me aapki lekhni me aur bhi nikhar aa gaya hai aur yah man ke bhavon ko bahut hi khoobsoorti se varnit kar rahi hai.badhai.
टुट कर बिखरोगे जो तुम,
क्या मिलेगा टुटने पर,
तुम ही होगे कल के सपने,
टुटते को जोड़ दो गर।
waah
हर पल हो एक नया प्रारम्भ।
vakat kaa hai khel sara bahut khub kaha aapne
दब गयी जो साँस मन में,
एक नया आवाज भर ले।
bahut sundar abhibykti
bahut -bahut badhai
sadar
LAXMI NARAYAN LAHARE
आशा और विश्वास जगातीं सुंदर पंक्तियाँ ! आभार!
सुंदर भाव ....जीवन का हर लम्हा नयी सोच के साथ जीयें....
टूट कर बिखरना कौन बड़ी बात है
बात तब है जब टुकड़े जोड़े जाएँ ...
आत्मविश्वास और उत्साह से लबरेज़ सुन्दर कविता ...
यही विश्वास बना रहे !
marmik ,mohak rachana bodhgamya hai -
sadhuvad ji .
फिर नया आगाज कर ले।
PRERNA DETI SUNDAR RACHNA.
बहुत उम्दा!!
बहुत लाजवाब रचना .. भावनाओं भरी ....
उत्साह और उर्जा बिखेरती प्रेरक रचना...
अच्छी , प्रेरक रचना.
टुट कर बिखरोगे जो तुम,
क्या मिलेगा टुटने पर,
तुम ही होगे कल के सपने,
टुटते को जोड़ दो गर।
सुन्दर
बधाई हो आपको - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
ऊर्जावान..प्रेरणादायक..!!!!
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