आत्मा सौंप रहा हूँ तुमको,
चिर काल तक करना संरक्षित।
युगों युगों से व्याकुल मन में,
मधु भावों को करना संचित।
तम में भी ना खोना स्थिरता,
प्रकाश की चकाचौंध में ना होना लोपित।
आत्मा सौंप रहा हूँ तुमको,
चिर काल तक करना संरक्षित।
दिगभ्रमित मनोदशा का करना त्याग,
संसार विमुख धर लेना वैराग,
कलुषित तन के अवसान से ना घबराना,
आत्मा ही है सर्वोपरि दुनिया को दिखलाना।
परमात्मा से आत्मा की मधुर मिलन में ही,
रहना हर क्षण तुम केंद्रित।
आत्मा सौंप रहा हूँ तुमको,
चिर काल तक करना संरक्षित।
नश्वर तो मानव काया है,
आत्मा है युगों से अमर सिंदूर,
भावनाओं के उमरते बादल घनघोर,
प्रपंचों से रहना तुम बिल्कुल दूर।
मन को कुंठित ना करना कभी,
सांसारिकता जो करे तुमको उपेक्षित।
आत्मा सौंप रहा हूँ तुमको,
चिर काल तक करना संरक्षित।
क्षीर सागर अथाह,अनंत है,
भगवान वही मिल जायेंगे,
मोक्षित होगी आत्मा की तस्वीर,
तो श्री चरणों को पायेंगे।
आत्मबल करो इतनी विकसित
उर नैन को कर लो जागृत।
आत्मा सौंप रहा हूँ तुमको,
चिर काल तक करना संरक्षित।
दाता हूँ मै तुम्हें सौंपता,
स्व अस्तित्व की जगमग लौ,
प्रकाशित करना चिर काल तक,
तम के भावों से प्रज्जवलित भव।
संदेह ना ऐसा हो उत्पन्न,
मै कौन हूँ,तू कौन है?
बस आत्मा ही सत्य है,
तन का अवसान इक मौन है।
रक्त के अक्षरों से लिखना,
भावी जीवन के सुख दुख गीत।
आत्मा सौंप रहा हूँ तुमको,
चिर काल तक करना संरक्षित।
16 comments:
बस आत्मा ही सत्य है,तन का अवसान इक मौन है।
bahut sundar bhavpoorn abhivyakti.
संदेह ना ऐसा हो उत्पन्न,मै कौन हूँ,तू कौन है?
बस आत्मा ही सत्य है,तन का अवसान इक मौन है।
रक्त के अक्षरों से लिखना,भावी जीवन के सुख दुख गीत।
आत्मा सौंप रहा हूँ तुमको,चिर काल तक करना संरक्षित।
बहुत सुंदर और भावयुक्त कविता ! आत्मा के प्रति इतना समर्पणभाव आपको बहुत ऊँचाइयों तक ले जायेगा..
aatma dene ka manobal ho to haar nahin hoti
यह समर्पण बहुत ऊपर उठा देता है हम सबको।
नश्वर तो मानव काया है,आत्मा है युगों से अमर सिंदूर,भावनाओं के उमरते बादल घनघोर,प्रपंचों से रहना तुम बिल्कुल दूर।
bahut khub kaha aapne
गहन अभिव्यक्ति....बहुत पावन समर्पण भाव
bahut achche......
आध्यात्मिकता के पथ पर प्रयाण ..... मौलिकता के संग सुंदर सृजन
सराहनीय है /
आभार जी /
बेहद उत्कृष्ट रचना है यह.
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें...
shalani ji kiya likha hai attma to kabhi naahi marti such bahut sunder saabado ka uccharan kiya hai
sharad ji bahut sunder kalpana ki hai apney,
bahut khoob....
bahut accha likha hai aapne
"samrat bundelkhand"
आत्मबल का ही तो खेल है सारा ...
उच्च कोटि की रचना के लिए साधुवाद !
गहन अनुभूति लिए सुन्दर रचना..आभार...
bahut sundar
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