मेरे साथ था तू कब से,
मै था या ना था जब से,
पृथ्वी,जल और नभ से,
मै पूँछता था सब से,
तू कौन है,तू कौन है?
तुम्ही तो थे बस साथ जब,
कोई न था मेरे पास जब,
भूला नहीं मै तुझको अब,
भूला है क्यों तू मुझको अब,
प्रिय है तुही तो मुझको सब से!
मेरे साथ था तू कब से,
मै था या ना था जब से!
निंद बन कर मेरे नैनों में,
तू ही मुझे सुलाता है,
अस्क बन कर मेरे नैनों से,
बहता है और रुलाता है!
कई रुप-रंग जीवन का अनूठा,
हर पल मुझे दिखाता है,
मुझको कही बुलाता है,
तू पास से या दूर से!
मेरे साथ था तू कब से,
मै था या ना था जब से!
बँधन में बाँधे है मुझको,
तेरी ही माया का बँधन,
अपरिचित तेरी शक्ति को,
करता हूँ हर दम मै नमन!
हर रात नैनों में स्वप्न तेरा,
स्वप्न में होता था मै अकेला,
आता था और कहता था तू,
मै तो हुँ तेरा कब से!
मेरे साथ था तू कब से,
मै था या ना था जब से!
अनंत सागर में वो चाँद,
मेरे पथ को करता था आलोकित,
मै तो हुँ इक स्वार्थी,
तू तो था मुझको ही समर्पित!
ना जान सका,पहचान सका,
तू तो था मेरे साथ तब से!
मेरे साथ था तू कब से,
मै था या ना था जब से!
मेरे जन्म के समय,
मेरी मुस्कुराहटों में तू था,
मरणासन सेज पर था मै,
तू चुपचाप धीर,निर्भय था!
जीवन में मेरे बन कर उजाला,
आत्मदीप तू अमर था,
मेरे साथ था तू अंत तक,
मेरे मरण तक,मेरे जन्म से!
मेरे साथ था तू कब से,
मै था या ना था जब से!
परछाई मेरी थी,पर था तू,
मै तो था मै,मै था तू!
तू ही था जीवन का लगाव,
हृदय से छलकता पावन भाव,
तू ही था मेरा मनमीत,
सदियों से खोया हुआ मेरा इकलौता,अनोखा प्रीत!
विरह व्यथीत मै हो जाऊँगा,
बिसराना ना तू मुझे अब से!
मेरे साथ था तू कब से,
मै था या ना था जब से!
अनंत गगन में उड़ते दो परिंदे,
इक मै था,इक तू था!
क्षीर सागर में तैरते दो मीन,
इक मै था,इक तू था!
प्रभु के चरण में बैठा कभी मै,
इक मै था,प्रभु तू था!
मनवंतर के कई सर्गो में जन्मे,
इक मै था,इक तू था!
नर मै था,नारायण तू था,
कई युगों से,कई सदियों से!
मेरे साथ था तू कब से,
मै था या ना था जब से!
तुने मुझपे सब वार दिया,
हर पल दिया,ना कुछ लिया,
मैने तेरा तिरस्कार किया,
अस्तित्व तेरा बिगाड़ दिया!
फिर भी तुने ना कुछ कहा,
तू था वही,मै था जहाँ,
न जाने किस प्रेम के वश से!
मेरे साथ था तू कब से,
मै था या ना था जब से!
जिस प्रेम के कारण,
तुने मुझे कभी ना भूलाया,
जिस रिश्ते के वास्ते,
हर जन्म में तुने साथ निभाया!
मै सौगंध अपनी देता हूँ,
और आज तुझसे कहता हूँ!
बता दे तू मुझे,वरना मुझे कुछ ना सुझे,
तू कौन है,तू कौन है!
हर जन्म में,हर राह में,
मेरे साथ है,मेरे पास है,
फिर भी ये कैसी नियती है,
तुझको मै ना पहचान सका!
न जाने तू कौन है,तू कौन है,
तू कौन है?
21 comments:
अति सुन्दर अभिव्यक्ति !! धन्यवाद
bahut badhiya rachna hai aapki...
शिवम भाई, अद्भुत लिखा है आपने। जितनी तारीफ की जाए कम है।
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मौलवी और पंडित घुमाते रहे...
बदल दीजिए प्रेम की परिभाषा।
मेरे साथ था तु अंत तक,मेरे मरण तक,मेरे जन्म से!
मेरे साथ था तु कब से,मै था या ना था जब से!
परछाई मेरी थी,पर था तु,मै तो था मै,मै था तु!
तु ही था जीवन का लगाव,हृदय से छलकता पावन भाव,तु ही था मेरा मनमीत,सदियों से खोया हुआ मेरा इकलौता,अनोखा प्रीत!waah
सुंदर रचना ....
मेरे साथ था तु अंत तक,मेरे मरण तक,मेरे जन्म से! सुन्दर अभिव्यक्ति !!
खूबसूरत रचना. बधाई स्वीकारें.
बेहतरीन लिखा है दोस्त!
इसी प्रश्न का उत्तर पाने,
जाने कितने जनम बिताने।
तुम्ही तो थे बस साथ जब,कोई न था मेरे पास जब,भूला नहीं मै तुझको अब,भूला है क्यों तु मुझको अब,प्रिय है तुही तो मुझको सब से!
बहुत सुंदर उदगार ह्रदय के ..
प्रभु प्रेम दर्शाती सुंदर रचना ..बधाई ..
सरल भाषा ...अर्थ गंभीर
मेरे साथ था तु कब से,मै था या ना था जब से!
अनंत गगन में उड़ते दो परिंदे,इक मै था,इक तु था!क्षीर सागर में तैरते दो मीन,इक मै था,इक तु था!
प्रभु के चरण में बैठा कभी मै,इक मै था,प्रभु तु था!मनवंतर के कई सर्गो में जन्मे,इक मै था,
इक तु था!...
प्रभु प्रेमपगी सुदर मनोहारी प्रस्तुति ...धन्यवाद
खूबसूरत भाव से सजी अच्छी रचना
बहुत प्यारी रचना...बहुत जबरदस्त रचना...
आप तु की जगह अगर तू कर लेंगे तो बेहतर होगा....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,
बधाई
- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत अच्छे भाव बहुत सुंदर रचना । शुभकामनाएँ ।
प्रभु प्रेम दर्शाती
बहुत हीभावपूर्ण रचना..मन को भाव विभोर कर देती है..आभार
satyam ji
aapki adhyatm ras me dubi tatha bhati bhav se pari-purn rachna antarman me sama gai .kin panktiyon ka ullekh karun sabhi ek se badhkar ek hain.ek el shabd sachchai ko ingit karti hai
bilkul saty hai ki ishwar to hamesha hi hamare sath rahte hain vo kis rup me kis rang me koi bhi nahi jan saka par har pal unki nigah ham sab par rahti hai .
ham jo kuchh bhi kary karte hain unko karvane ka madhayam bhi to vahi hain.
kin shbdo me aapki is rachna ki tariff karun ----
bahut hi prerit karti hai aapki rachna .
aapke blog par der se aai kuchh aswsthata ke karan xhmma chahti hun
bahut abhut badhai
poonam
प्रिय सत्यम शिवम् जी अति सुन्दर भाव नर और नारायण का अद्भुत रिश्ता आप ने बयां किया रचना में जान आ गयी -
- बधाई हों अद्भुत भाव से रूबरू करवा मन को पावन और शीतल किया आप ने
हर जन्म में,हर राह में,मेरे साथ है,मेरे पास है,फिर भी ये कैसी नियती है,तुझको मै ना पहचान सका!न जाने तु कौन है,तु कौन है,तु कौन है?
शुक्ल भ्रमर 5
अति सुन्दर अभिव्यक्ति !
सत्य्मजी आपने अद्भुत लिखा है इतना गहन चिंतन और दर्शन अनुभव के बिना नहीं हो सकता, ईश्वर की आप पर अपार कृपा है!
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