Thursday, June 2, 2011

चुप ही रहूँ

चुप ही रहूँ तो क्या बुरा,
कह के भी मै क्या कर सका!
दब जाती है आवाजे मेरी,
खामोशिया देती है पनाह,
घुट-घुट कर ही रह जाता हूँ,
रोने की तो है अब मना!

आँसू भी तो ना है अब मेरा,
चुप ही रहूँ तो क्या बुरा!

कुछ दूर तक तन्हाई हो,
बीते पलों की याद आई हो,
सुनसान राहों का राही कोई,
मानो अपनी मँजील पा ली हो!

कोई जख्म दिल का ना भरा,
चुप ही रहूँ तो क्या बुरा!

जादूगर नहीं हूँ शब्दों का,
शब्दों का जाल कैसे बिछाऊँ,
अपनी बातों से दुनिया के,
छलावे को कैसे रिझाऊँ!

सुना है भावों से अब तो,
मेरे मन का धरा!
चुप ही रहूँ तो क्या बुरा!

भटका फिरा ताउम्र मै,
बस इक आनंद की खोज में,
जो मिल गया बिन माँगे ही,
मौन के भाषा की गोद में!

मन का दर्द है ये जाने कितना बडा़,
चुप ही रहूँ तो क्या बुरा!

20 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत अच्छा लिखा है दोस्त!

prerna argal said...

bahut sunder rachanaa.badhaai aapko.

Mani Singh said...

chup rahate hue bhi bahut kuch kah dia aapne

shikha varshney said...

चुप रहकर भी कितना कुछ कह दिया आपने. मर्मस्पर्शी रचना.

प्रवीण पाण्डेय said...

आपके मन की पीड़ा न जाने कितनों की है।

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

sunder geet

Amit Chandra said...

अब चुप्पी तोड़ने की बारी है। सुन्दर।

Sunil Kumar said...

खामोशियाँ राज दिल का बता रही है .....

Patali-The-Village said...

मर्मस्पर्शी रचना| धन्यवाद|

Dr Varsha Singh said...

आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।

कृपया मेरे ब्लॉग
http://ghazalyatra.blogspot.com
पर भी आपका स्वागत है !

Shalini kaushik said...

जादूगर नहीं हूँ शब्दों का,शब्दों का जाल कैसे बिछाऊँ,अपनी बातों से दुनिया के,छलावे को कैसे रिझाऊँ!
ye to aapne khud hi sabit kar diya ki aap satyam hote hue bhi asatya bolte hain-ye uper likhi kavita kya shabdon kee zadoogri nahi hai?

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर प्रस्तुति

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति जी धन्यवाद

Udan Tashtari said...

बहुत भावपूर्ण.

बाबुषा said...

Achha lilha hai satyam. Aise hi likhte chalo bachhe.
Blessings.

Arti Raj... said...

nahi chup mat rahiye...bolte rahiye....kahte hai ki chuppi insaan ko man hi man kachotti rahti hai...or bolne se man ke saare bikar mit jate hai....bahut sundar

mridula pradhan said...

bhawpoorn......bahut sunder.

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर भावमयी रचना..

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

बहुत सुन्दर ... पर दर्द् काफी...

roshan kumar said...

bhut hi sundar dost.................