तुमको कभी ऐसे पाऊँगा,
तुझमे ही मै खो जाऊँगा,
मर जाऊँगा,मिट जाऊँगा,
पर अब जुदा हो ना पाऊँगा।
मन के घनघोर बादलों पे,
जैसे छायी हो रात की कालिमा,
वैसे ही मै तुझमे समा के,
खुद को करुँगा लालिमा।
मेरी आत्मा,परमात्मा से,
मिल के जो सुख पायेगी,
मै कैसे कहूँ,क्या नाम दूँ,
शब्दों में कैसे व्यक्त करुँ?
उस मधुर मिलन की कामना।
जो बीत गया उसे भूल कर,
अंदर की आँख को खोल कर,
मन के दीपक की ज्योत जला,
तेरे चरणों में मन को लगा।
चाहूँगा मै तुझे ऐसे प्रभु,
जैसे मौत की शय्या पे पड़ा,
कोई चाहता हो जीने की लालसा।
चाहत मेरी ऐसे पूर्ण हो,
मधुबन में जैसे कोई जीर्ण हो,
हो लालसा मद्भाल की,
हो कामना बस प्यार की,
मधुशाला में भी जो रहे,
बन के प्याले की मद्लालसा।
अब तू रहेगा,मै रहूँगा,
और बस चाहत रहेगी,
तेरे साथ मै,मेरे पास तू,
बन के ख्वाहिश बस साथ चलेगी।
तू नैनों में बस जायेगा,
हर जगह तू ही नजर आयेगा,
हिन्दू भी तू,मुसलिम भी तू,
इसा भी तू कहलायेगा।
राजा भी तू,प्रजा भी तू,
शासित भी तू,शासक भी तू,
सुख दुख का सारा खेल तू,
सब भेदभाव मिट जायेगा।
मन स्वच्छंद उड़ता हुआ,
तब अपनी मँजील पायेगा।
सब को भूला,तू जो मिला,
बस तुझमे ही अब नेह लगा,
सब कष्ट मेरे अब मिट रहे,
जैसे पा लिया हो अमृत की थाल सा।
तू साथ है,अब क्या प्यास है,
तू पास है,ये मेरी साँस है,
अब मै रहूँ तुझमे कहूँ,
तुझे पा लिया,तुझे पा लिया,
तुझको तो अब मै पा लिया।
18 comments:
वाह बहुत ही सुन्दर
रचा है आप ने
क्या कहने ||
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Jo beet gaya use bhoolna kitna zarooree hai!
Behad sundar rachana!
गहन भावों के साथ बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना है !
bahut khoob satyam bhai ..........mai to fan ho gaya apka
बहुत सुन्दर रचना रची है आपने... आत्मा से परमात्मा के मधुर मिलन की सुन्दर कामना...
मेरी आत्मा,परमात्मा से,मिल के जो सुख पायेगी,मै कैसे कहूँ,क्या नाम दूँ,शब्दों में कैसे व्यक्त करुँ?.... is avyakt bhawnaaon ko bas samjha ja sakta hai
आध्यात्मिक ऊँचाइयों को छूती हुई बहुत सुंदर रचना !
बहुत ही सुन्दर और गहरी अभिव्यक्ति ....
बहुत सुंदर शब्दों में लिखी शानदार रचना /आत्मा को परमात्मा से मिलाने की आध्यात्म से परिपूर्ण बेहतरीन कविता /बहुत -बहुत बधाई आपको /
भावों का तन्मय प्रवाह।
हृदयस्पर्शी रचना ..सुन्दर...
अरे भाई कल शादी की बात कर रहे थे और आज पा भी लिए...बहुत-बहुत बधाई...बहुत सुन्दर तरीके से अभिव्यक्त किया अपने कोमल भावों को...अतिसुन्दर
आध्यात्मिक भावो को बहुत ही खुबसूरत तरीके से प्रस्तुत किया है आपने....
अत्यंत हृदयस्पर्शी...
Mubarak ho Satyam ji...bahut acchi rachana...aabhar
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bahut sundar bhavabhivyakti blog kee hi tarah aapki kavya kalpana bhi sarahniy hai satyam ji.
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