चल रही है दर्द की कुछ आँधियाँ,
और मेरा दर्द भी संग चल रहा।
चोट खाकर राह में अवरोध से,
आह भी संताप संग घुल गल रहा।
दिख रही है सामने परछायी सी,
नैन तट पर तम की बदली छायी सी,
मिल रहा है भ्रम का साया नया,
लग रहा है झूठा नभ और जहाँ।
खो रही है हाथ की लकीरें,
बुझ रहा है मन दीप धीरे धीरे।
लौ से ही तो आज रौशन,
चाहतों का ये दीया।
चल रही है दर्द की कुछ आँधियाँ,
और मेरा दर्द भी संग चल रहा।
दूर जैसे गा रही है गायिका,
पास अपने बुला रही है नायिका,
सोचता हूँ क्या करुँ,क्या ना करुँ?
बूँद बिन सावन भी तो है फीका।
छोड़ दूँ मै या खुद को सौंप दूँ,
हाथ उनके जो है मद की प्यालियाँ,
या लगा लूँ होंठ से मै फिर उन्हें,
डूब कर मैने है सब कुछ पा लिया।
चल रही है दर्द की कुछ आँधियाँ,
और मेरा दर्द भी संग चल रहा।
टीस है खुद में कि तुमको देख लूँ,
आखिरी जो क्षण है जीवन का मिला,
प्यार दे दूँ इस कदर फिर से तुम्हें,
भूल जाओ बीता हुआ शिकवा गिला।
यूँ लगा लूँ आज मै अपने गले,
स्नेह का उर से हो उर में मिलन,
दो घड़ी बस संग तेरे आज मै,
सौ जन्म से भी है ज्यादा जिया।
चल रही है दर्द की कुछ आँधियाँ,
और मेरा दर्द भी संग चल रहा।
याद के उस शून्य पर है आज भी,
प्यार का अपना सितारा टूटता,
माँगता हूँ फिर से वो तमाम रात,
दर्द का ये किस्सा पल पल छूटता।
अब नहीं चाहूँ जहाँ की उर्मिया,
और ना ही राह में प्रकाश का दीया,
माँगता हूँ मै तो बस अपने खुदा से,
लौटा दे वो पल जिसे तूने लिया।
चल रही है दर्द की कुछ आँधियाँ,
और मेरा दर्द भी संग चल रहा।
15 comments:
बेहतरीन रचना,
मिल रहा है भ्रम का साया नया,लग रहा है झूठा नभ और जहाँ...
बहुत संवेदनशील रचना.
बड़ी ही भावपूर्ण रचना।
उत्तम भावप्रधान रचना.
अब नहीं चाहूँ जहाँ की उर्मिया,और ना ही राह में प्रकाश का दीया,माँगता हूँ मै तो बस अपने खुदा से,लौटा दे वो पल जिसे तूने लिया।
चल रही है दर्द की कुछ आँधियाँ,और मेरा दर्द भी संग चल रहा।
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति सत्यम जी.चित्र भी आपके मन के भावों को खूबसूरती से अभिव्यक्त कर रहे हैं .सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.
बहुत उम्दा रचना....
बेहतरीन अभिवयक्ति....
बहुत सशक्त प्रस्तुति।
bhavnatmak ...samvedansheel......bahut sunder rachna..
कल-शनिवार 20 अगस्त 2011 को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया अवश्य पधारें.आभार.
dard bhari rachna par hai bahut sundar..
satyam ji
bahut hi behtreen vbhav bhini prastuti.
shbdo ka samanjasy to hamesha ki tarah bahut hi sundar.
manko bhigoyi is rachna ke liye
bahut bahut badhai
poonam
बहुत खूबसूरत रचना ...भावपूर्ण
सुन्दर प्रस्तुति....
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