मुझमे ही छुपे हैं वो दोनों रंग,
जिन्हें देख रह गया मै तो दंग।
कभी सामने आकर लुभाते हैं,
कभी चलते हैं मेरे संग संग।
मुझमे ही छुपे हैं वो दोनों रंग।
कभी हँसते हैं,कभी रोते हैं ,
कभी जागते,कभी सोते हैं।
यूँही वह बदल कर रुप मेरा,
करते रहते हैं मुझको तंग।
मुझमे ही छुपे हैं वो दोनों रंग।
बन जाते हैं भगवान कभी,
कभी लगते हैं शैतान वही,
कुछ भी है पर इस रंग बिना,
तन में मेरे है प्राण नहीं।
रंगीन ये मन क्यों ना समझ सका,
"मै" से "मै" की यह कैसी जंग?
मुझमे ही छुपे हैं वो दोनों रंग।
दर्पण से मुझे दिखलाते रंग,
अंतरमन के वे सारे अंग,
जिससे मानव भगवान बने,
चंदन से भी लिपटा रहे भुजंग।
जिसके बिन जीवन खाली,उजड़ा,
मन बन जाता है कोई पतंग।
मुझमे ही छुपे हैं वो दोनों रंग।
जिन्हें देख रह गया मै तो दंग।
कभी सामने आकर लुभाते हैं,
कभी चलते हैं मेरे संग संग।
मुझमे ही छुपे हैं वो दोनों रंग।
कभी हँसते हैं,कभी रोते हैं ,
कभी जागते,कभी सोते हैं।
यूँही वह बदल कर रुप मेरा,
करते रहते हैं मुझको तंग।
मुझमे ही छुपे हैं वो दोनों रंग।
बन जाते हैं भगवान कभी,
कभी लगते हैं शैतान वही,
कुछ भी है पर इस रंग बिना,
तन में मेरे है प्राण नहीं।
रंगीन ये मन क्यों ना समझ सका,
"मै" से "मै" की यह कैसी जंग?
मुझमे ही छुपे हैं वो दोनों रंग।
दर्पण से मुझे दिखलाते रंग,
अंतरमन के वे सारे अंग,
जिससे मानव भगवान बने,
चंदन से भी लिपटा रहे भुजंग।
जिसके बिन जीवन खाली,उजड़ा,
मन बन जाता है कोई पतंग।
मुझमे ही छुपे हैं वो दोनों रंग।
18 comments:
बधाई ||
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
शब्द संयोजन बहुत कमाल का खुबसूरत रचना
बहुत सुंदर
सच कहूं तो कभी कभी ही ऐसी रचनाएं पढने को मिलती हैं।
लाजवाब प्रस्तुति
शुभकामनाएं
bahut badiya saarthak rachna..
"मै" से "मै" का ये कैसा जंग ?
मुझमे ही छिपा है वो दोनो रंग |
..........आत्मसमीक्षा करती सुंदर कृति
मन के अंतर्द्वंद को कहती सुन्दर रचना ...मन में दोनों पक्ष होते हैं ..अच्छा भी और बुरा भी ...अच्छी अभिव्यक्ति
गहरी और सार्थक अभिव्यक्ति
"मै" से "मै" का ये कैसा जंग ?
मुझमे ही छिपा है वो दोनो रंग
मन के अंतर्द्वंद को सुन्दर शब्दों से सजाया है... गहन अभिव्यक्ति...
द्वन्द रंग।
aitah aur bahaya insaan ke dono hi roopon ko vyakt karti kavita sunder abhivyakti.
वाकई बहुत सुंदर रचना है
सुन्दर रचना के साथ बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
सादर
तृप्ति
बहुत सुन्दर भावाभिवय्क्ति....
सुन्दर गीत !
बहुत सुन्दर...बधाई
bahut sundar rachna satyam ji....
lajwab.....
बधाई ||
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