Tuesday, August 30, 2011

अजान का वो स्वर सूना है

मस्जिद में लगे ध्वनि-विस्तारक यंत्रों से,
अजान का वो स्वर सूना है!
नमाजों में,दुआओं में,
मुसलमानों के पाक इरादों में,
दिख जाता मुझे आज भी वो खुदा है!

खुदा ना जुदा है बंदो से,
बंदगी उसकी अब भी वही है,
मजहब वही है,खुदा वही है,
इंसानियत ही आज सूना-सूना है!

मस्जिद में लगे ध्वनि-विस्तारक यंत्रों से,
अजान का वो स्वर सूना है!

खिदमत में खुदा की पेश करुँ,
मै आज कहाँ से गुजरा जमाना,
वो प्यार,मोहब्बत,
वो इबादत का दस्तूर,
भुला दिया है अब तो आना-जाना!

जमाने उल्फत को अब ताक पर रख,
उस पाक दिल को तो आज छुना है!

मस्जिद में लगे ध्वनि-विस्तारक यंत्रों से,
अजान का वो स्वर सूना है!
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भाईचारा,बद्सलूकी का हमराही हुआ,
अलविदा कहा उस कौम को,
खुदा भी ताकता रहा बंदो को,
इशारा दिया जुबा को मौन से!

वो ईद की तैयारी,
वो प्यार से गले मिलना,
इक अलग ही खुमार होता था,
रोजा रखना,नमाज पढ़ना,
हर घर में कभी मैने सुना है!

मस्जिद में लगे ध्वनि-विस्तारक यंत्रों से,
अजान का वो स्वर सूना है!

पर आज कहाँ वो रमजान है,
बकरीद की कुर्बानी,
से भी सब अंजान है,
तभी तो मै तुमसे ये कह ही दूँ,
मैने बस उस रब को चुना है!

मस्जिद में लगे ध्वनि-विस्तारक यंत्रों से,
अजान का वो स्वर सूना है!

जन्नत मेरा मक्का-मदीना में,
उस ईद के चाँद पर अटका है,
मैने जिसे देखा तो मन में,
कई ख्वाब मेरे खुद ही बुना है!

मस्जिद में लगे ध्वनि-विस्तारक यंत्रों से,
अजान का वो स्वर सूना है!

भरी दोपहरिया में,बड़ी भोर में,
गोधुली में हर शाम को,
“अल्लाह हो अकबर...“की वो धुन,
बंदे कभी तो दिल से सुन!
ना कौम की चर्चा कही,
ना ही मजहब का वास्ता,
बस है खुदा उन बंदो का,
अपनाते है जो मोहब्बत का रास्ता!

मैने तो जाना मोहब्बत होता बडा़,
आज भी धर्म और मजहब से कई गुना है!

मस्जिद में लगे ध्वनि-विस्तारक यंत्रों से,
अजान का वो स्वर सूना है!

आप सभी को ईद मुबारक.....

11 comments:

vandana gupta said...

वाह्…………बहुत सुन्दर भाव संयोजन्।

itef_lucknow said...

अति सुन्दर मित्र, शब्दों का संयोजन बहुत संतुलित है

Shalini kaushik said...

मैने तो जाना मोहब्बत होता बडा़,आज भी धर्म और मजहब से कई गुना है!
बहुत सुन्दर व् मेल-मिलाप से आपने ईद की शुभकामनायें दी हैं सुन्दर प्रयास.बधाई.
न छोड़ते हैं साथ कभी सच्चे मददगार.

प्रवीण पाण्डेय said...

सभी को ईद मुबारक।

रश्मि प्रभा... said...

ना कौम की चर्चा कही,ना ही मजहब का वास्ता,बस है खुदा उन बंदो का,अपनाते है जो मोहब्बत का रास्ता!...eid mubarak

Anita said...

मुहब्बत का पैगाम देती ईद के मौके पर एक सुंदर रचना... आपको भी ईद मुबारक !

Chaitanyaa Sharma said...

ईद के त्योंहार की हार्दिक शुभकामनायें.... हैप्पी ईद :)

Dr Varsha Singh said...

सुंदर रचना...

ईद और गणेश चतुर्थी की आपको हार्दिक शुभकामनायें।

Neelkamal Vaishnaw said...

बहुत ही सुन्दर पढ़ कर अच्छा लगा......
गणेश चतुर्थी की आपको हार्दिक शुभकामनायें
आप भी आये यहाँ कभी कभी
MITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN

Unknown said...

Bahut sundar prastuti Satyam Ji..
Bahut Sundar aur manviya samvedna ko jhankrit karte bhav.. Aabhar..

prerna argal said...

आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली(७) के मंच पर प्रस्तुत की गई है/आपका मंच पर स्वागत है ,आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें ,यही कामना है / आप हिंदी ब्लोगर्स मीट वीकलीके मंच पर सादर आमंत्रित हैं /आभार/